लॉकडाउन 4.0 ढील के खेल के घातक और भयावह परिणाम हो सकते हैं! -विशेषज्ञों ने चेताया कि 10 हफ्ते से कम रहा लॉडकाउन तो बुरे होंगे हालात

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, करीब 50 दिन लॉकडाउन के 4.0 चरण में आनन फानन में दी जा रही ढील खतरनाक हालात की ओर इशारा कर रहे हैं। अब जब हम वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के तीसरे चरण कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की दहलीज पर हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में डिपार्टमेंट आफ पैथालॉजी यूनिट के प्रमुख डा. एबी डे का मानना है कि दिल्ली देश की राजधानी है यहां पर लॉकडाउन 4.0 में ढील देना जल्दबाजी है। दुनिया की अग्रणी मेडिकल जर्नल लांसेट के एडिटर इन चीफ र्रिचड हॉर्टन की रिपोर्ट का हवाले देते हुए डा. डे ने कहा कि बीमारी का दूसरा तीसरा चरण आया तो ज्यादा घातक होगा इसलिए हमें लॉकडाउन में ढील को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। कम से कम 10 हफ्ते की अवधि पूरा करना जरूरी है अभी 7 सप्ताह बीत चुके हैं, यानी 21 दिन तक अनुपालन करना जरूरी है। उन्होंने कहा किय हो सकता है यह सुझाव सरकार के पसंद न आए लेकिन उनका कहना है कि आपने इसके लिए काफी समय और प्रयास खर्च किया है जिसे यूं ही बर्बाद मत करिए।
सिर्फ सब्र रखें, अपने आप खत्म हो जाएगी बीमारी:
किसी भी देश में यह महामारी हमेशा के लिए नहीं है। यह अपने आप ही खत्म हो जाएगी। हमारे देश में वायरस पर नियंतण्रके लिए सही दिशा में काम किया जा रहा है। यदि लॉकडाउन सफल होता है तो आप देखेंगे कि 10 हफ्ते में यह महामारी निश्चित तौर पर खत्म हो जाएगी। यदि इसके अंत में, वायरस बंद हो जाता है, तो चीजें फिर से सामान्य हो सकती हैं। यह सही है कि हालात सामान्य नहीं हैं। हमें शारीरिक दूरी को बनाए रखना होगा। हमें मास्क पहनना होगा। साथ ही निजी तौर पर हाइजीन को लेकर बेहद सतर्क रहना पड़ सकता है।
जब तक संभव हो लॉकडाउन जारी रहे:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में पीएम कोरोना टास्ट फोर्स के वरिष्ठ सदस्य डा. वीके पॉल ने लॉकडाउन जल्द ही समाप्त होने वाली तारीख पर प्रतिक्रिया देते कहा मैं समझता हूं कि आपको आर्थिक गतिविधि फिर से शुरू करनी होगी, लेकिन कृपया इसके लिए जल्दबाजी न करें। यदि आप लॉकडाउन को जल्दबाजी में उठाते हैं और तो आपके पास बीमारी का तीसरा चरण होगा जो पहले और दूसरे चरण की तुलना में और खराब हो सकता है। हर कोई काम पर जाना चाहता है, लेकिन मैं आपसे अपील करता हूं कि आप जल्दबाजी न करें।
चीन की फतह, एपीडिमिओसॉजिकल मॉडल:
इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. आरएन कालरा ने चीन का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे महज 10 हफ्ते के आक्रामक लॉकडाउन की बदौलत चीन के वुहान (जहां से कोरोनो वायरस की उत्पत्ति हुई) बीमारी के संचरण को रोक सका था। वुहान ने लॉकडाउन को लेकर बेहद आक्रामक तरीके से व्यवहार किया और 23 जनवरी से लेकर अप्रैल के पहले हफ्ते तक वहां खुद को बंद कर लिया और वायरस के फैलने की संभावना को खत्म कर दिया। वे अब सामान्य होते जा रहे हैं। वास्तव में, सभी एपीडिमिओसॉजिकल मॉडल दिखाते हैं कि उन्हें ऐसा करने की जरु रत है क्योंकि वायरस का नेचर ही यही है। यह आबादी में तेजी से फैलता है यदि आप शारीरिक रूप से दूरी बनाए नहीं रखते हैं। अब तक एक लाख से अधिक संदिग्धों की स्क्रीनिंग कर चुके मैक्स कैथलैब के निदेशक डा. विवेका कुमार कहते हैं कि इस महामारी की सक्रियता को खत्म करना है तो लॉकडाउन 4.0 में ढील नहीं देना चाहिए। इसी में हर शख्स की भलाई निहित है।

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