जीवन रक्षक आक्सीजन जनरेशन सिस्टम आपूर्ति में गड़बड़! -अनुभवहीन फर्म को 17 से 19 करोड़ के उपकरण को 26 करोड़ रुपये में आपूर्ति करने की तैयारी

सीवीसी में पहुंची शिकायत जांच के आदेश

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली, विषम परिस्थितियों में देश की आन बान शान में साल के 365 दिन जुटे रहने वाले सैनिकों और उनके परिजनों को उम्दा और गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सीय सेवाएं उपलब्ध कराने वाले सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाएं के महानिदेशालय (डीजी एएफएमएस) प्रशासन में कुछ अधिकारी चिकित्सीय उपकरणों की खरीद परोख्त में संवेदनहीनता बरत रहे हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के केंद्रीय सार्तकता विभाग को भेजी शिकायत में कहा गया है कि डीजी एएफएमएस ने देशभर में सैन्य बल के अस्पतालों में पोर्टेबल आक्सीजन आपूर्ति करने के लिए निविदा जारी की है। जिसमें नियम कानून की अनदेखी करते हुए मेडिलिंक्स सर्जिकल्स और उत्तम नामक ऐसी दो कंपनियों को में दिलचस्पी दिखाई है। इनके पास न तो पर्याप्त अनुभव है और न ही टर्न ओबर। ताज्जुब यह है कि तय मानदंडों पर खरी उतरने वाली यूनिसी इंडिया नामक फर्म को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। आक्सीजन आपूर्ति करने के मामले में इस कंपनी को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर 33 साल का अनुभव होने के साथ ही गुणवत्ता और कीमतों के मामले भी बेहतर है।
डीजी एएफएमएस ने नोटिस संख्या एमएपी644 के तहत 23 आक्सीजन जनरेशन सिस्टम आपूर्ति करने संबंधी निविदा बीते वर्ष 8 जुलाई 2019 को जारी किया। सभी औपचारिकताएं पूरी करते हुए पहले तो यूनिसी इंडिया को अपने उत्पादों को प्रजेंट करने के लिए आमंत्रित किया। तय तिथि पर जब उनके अधिकारी और टेक्निकल टीम के एक्सपर्ट मौके पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि तुम्हे गलती से अनुमति पत्र भेजा गया। किसी फर्म को डीजी एएफएमएस कार्यालय यह स्वीकृति पत्र तभी जारी करता है जब वह सभी औपचारिकताएं पूरी करती हो इसके लिए रक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी स्वीकृति प्रदान करते हैं। निविदा जारी होने के बाद मेडिलिंक्स और यूनिसी इंडिया द्वारा साउथ कोरिया की अलग अलग कंपनी का आक्सीजन प्लांट आपूर्ति के लिए प्रदर्शन पत्र दिया गया। लेकिन जब यूनिसी इंडिया के एक्सपर्ट्स ने अपने उत्पाद का प्रदर्शन करने के लिए डीजी एएफएमएस कार्यालय पहुंचे तो उन्हें यह कहा गया कि उन्हें गलती से पत्र व्यवहार किया गया, दरअसल, यह निविदा मेडिलिंक्स सर्जरीज और उत्तम नामक फर्म ही क्वालीफाई कर सकी है। आरोप लगाया गया है कि दरअसल, यह सारी प्रक्रिया सिर्फ एक कंपनी के सुपोर्टिव बिड के नाम कर किया गया। तकनीकी अनुभव भी नहीं है। ताज्जुब यह है कि जो उत्पाद यूनिसी इंडिया ने सिर्फ 17 से 19 करोड़ रुपये में सशर्त उपलब्ध करने के लिए राजी हुई थी। साथ ही आक्सीजन में प्रयोग किए जाने वाले सीएएमसी में स्पेयर पार्ट्स मुफ्त देने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन ऊंची पहुंच के चलते अब अनुभवहीन मेडिलिंक्स फर्म उसी उत्पाद को 26 करोड़ रुपये में आपूर्ति करने की तैयार की है। जांच का विषय यह भी है कि चयन कमेटी में चार सदस्य होते हैं उन्होंने भी नियमों को अनदेखी करते हुए इस मामले में अपनी रजमंदी दी है। मेजर जनरल राकेश कुमार ने कहा कि शिकायत अभी नहीं मिली है यदि कोई भी आपत्ति किसी भी फर्म को है तो उसकी बात को सुनी जाएगी। सीवीसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मिली शिकायत की जांच के आदेश दिए गए हैं।

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