महामारी बन रही है घुटने की आर्थराइटिस – पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में आर्थराइटिस का प्रकोप 15 गुना ज्यादा

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , हमारे देश में आनुवांशिक कारणों तथा खान-पान और उठने-बैठने के गलत तौर तरीकों के कारण घुटने की आर्थराइटिस की समस्या पश्चिमी देशों की तुलना में 15 गुना अधिक है। वि आर्थराइटिस दिवस की पूर्व संध्या पर आर्थराइटिस विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में घुटने की आर्थराइटिस का इतना अधिक प्रकोप के लिए आनुवांशिक कारणों के अलावा उठने-बैठने की भारतीय शैली है जिसके कारण घुटने अधिक तेजी से घिसते हैं। हर वर्ष 12 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है।
बैठने के तौर तरीके बीमारी की वजह:
डा. राममनोहर लोहिया अस्पताल में अस्थि शल्यक्रिया विभाग के अध्यक्ष डा. अजय शुक्ला के अनुसार हमारे देश में घुटने की आर्थराइटिस का प्रकोप अधिक होने का एक प्रमुख कारण उठने-बैठने का हमारा तौर तरीका है। भारतीय संस्कृति में घुटने मोड़कर और पालथी लगाकर बैठने की अक्सर जरूरत पड़ती है। मंदिर में बैठना हो, भजन करना हो, सामूहिक भोजन करना हो, घर के कामकाज करने हो या आपस में बातें करनी हो – इन सभी कामों में घुटने मोड़कर ही बैठना पड़ता है। यहां तक कि भारतीय शैली के शौचालय में भी घुटने के बल बैठना पड़ता है। बैठने की यह शैली हमारी आदत में शुमार हो गई है और इस आदत के कारण यहां लोग लोग कुर्सी, सोफे या पलंग पर भी घुटने मोड़कर बैठना पसंद करते हैं। बैठने के इस तरीके में घुटने पर दवाब पड़ता है जिससे कम उम्र में ही घुटने खराब होने की आशंका बढ़ती है। हालांकि इसके असर तुरंत नहीं दिखते लेकिन उम्र बढ़ जाने पर घुटने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसके अलावा घुटने की आर्थराइटिस में तेजी से वृद्धि होने का एक प्रमुख कारण यह है कि आजादी के बाद से भारत में जीवन प्रत्याशा दोगुनी हो गई है, जिसके कारण काफी संख्या में बुजुर्ग लोग घुटने के घिसने और उसके क्षतिग्रस्त होने की समस्याओं से पीड़ति हो रहे हैं।
स्थिति है भयावह:
आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. (प्रो.) राजू वैश्य ने कहा कि अगले एक दशक में, घुटने की आर्थराइटिस के भारत में शारीरिक क्षअमता के चौथे सबसे आम कारण के रूप में उभर सकता है। देश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों की कमी के कारण महामारी बन रही इस समस्या से निपटना मुश्किल होगा। अगले एक दशक में, घुटने की आर्थराइटिस के भारत में शारीरिक क्षअमता के चौथे सबसे आम कारण के रूप में उभर सकता है। देश में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर और ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञों की कमी के कारण स्वास्थ्य देखभाल के इस भारी बोझ से निपटना मुश्किल होगा।
सुझाव:
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डा. अभिषेक वैश्य का सुझाव है कि अगर घुटने की आर्थराइटिस शुरू हो जाए तो बैठने का तरीका बदलना चाहिए। इसके अलावा ज्यादा देर तक बैठ कर काम करने, कम चलने-फिरने, मोटापा, धूप के संपर्क में कम रहने, जंक फूड के सेवन और विटामिन डी की कमी के कारण घुटने की आर्थराइटिस होती है। महिलाओं में आर्थराइटिस का प्रकोप पुरूषों की तुलना में अधिक है तथा महिलाएं कम उम्र में ही इससे ग्रस्त हो जाती हैं। भारतीय महिलाओं में, घुटने की समस्याओं की शुरु आत के लिए औसत उम्र 50 साल है जबकि भारतीय पुरु षों में 60 साल है

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