फिटनेस सेंटर्स में अनुभवहीन कोच, व्यायाम की मशीनें की गुणवत्ता के रिव्यु की है दरकार -लंबे समय तक कंधे का दर्द, रोटेटर कफ टियर -70 फीसद बुजुर्ग कंधे के दर्द से पीड़ित, इसका जल्द से जल्द निदान करना जरूरी

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , राजधानी में सेहत बनाने के लिए दिन ब दिन खुल रहे नये नये व्यायाम सेंटर्स (जिम्स) में यह सोचकर जाने की तैयारी कर रहे हैं कि वहां तैनात कोच दक्ष हैं और वे जो भी आपकों व्यायाम के तरीके सिखाएंगे उससे आपकी सेहत में सुधार आएगा। तो जरा संभलकर जाएं। एक अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली एनसीआर में करीब 12 हजार जिम फिटनेस सेंटर्स है जिनमें लोगों को टिप्स देने वाले 67 फीसद कोच गैर प्रशिक्षित हैं। भारतीय मानक संस्थान के अनुरूप मान्यता प्राप्त इन फिटनेस सेंटर्स की मशीनें भी स्तरीय नहीं है।
यहां एक सम्मेलन में मंगलवार को बीएलके में आथरेस्कोपी एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन के निदेशक डा. दीपक चौधरी ने बताया कि ओपीडी में आने वाले 100 में से कम से कम 10 ऐसे कंधों, जोड़ों संबंधी अस्थि विकृतियों की वजह फिटनेस सेंटर्स के साथ ही सही तरीके से उठने बैठने में लापरवाही समस्या की वजह है। कॉमन वेल्थ गेम्स के दौरान सफदरजंग हास्पिटल में स्पोर्ट्स इंजूरी सेंटर की शुरुआत कर दुनियाभर में धाक जमाने वाले डा. चौधरी ने युवाओं और बुजुगरे में कंधों में होने वाली इंजूरी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई और कहा कि इसकी रोकथाम और जागरुकता की कमी से मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
बनेगी नीति:
नीति आयोग के सदस्य एवं प्रख्यात वैज्ञानिक डा. वीके सारस्वत (66) ने कहा कि आईएसआई के मानकों के अनुकूल फिटनेस सेंटर्स के लिए जल्द ही दिशा निर्देश तैयार किए जाएंगे। वैसे इन केंद्रों के लिए पहले आईएसआई स्तर के ही उपकरण स्थापित करने संबंधी नियम है। लेकिन जिस तरह से मामले आ रहे हैं इससे स्पष्ट है कि फिटनेस सेंटर्स की जांच कराई जाए और वहां तैनात कोच की योग्यता का सत्यापन के लिए योजना बने। डीआरडीओ के पूर्व सचिव डा. सारस्वत ने कहा कि नियमानुसार कोच को फीजियोथेरेपिस्ट की डिग्री होना चाहिए। मैं खुद छह माह से एक जिम में व्यायाम कर रहा था, गैर अनुभवी कोच के निर्देशन में मेरा कंधा रोटेटर कफ टियर हो गया था। कंधे ठीक से नहीं घूमते थे, हाथ उठाने तक में भी दिक्कतें होती थी। डा. चौधरी के परामर्श के बाद रोटेटर कफ टियर का पता चला। प्रारंभिक निदान और पारंपरिक उपचार (फिजियोथेरेपी) के साथ कंधे के दर्द से छुटकार पाया। मेरे जैसे हर दिन फिटनेस सेंटर्स में गलत एक्सरसाइज करने से स्पोर्ट्स इंजूरी की दिक्कतों से जूझ रहे हैं। हरियाणा के भिवानी के एक राष्ट्रीय स्तर के युवा पहलवान, हेमंत (18) को अपने कंधे के दर्द से छुटकारा पाने के लिए मिनिमल इन्वेसिव आथरेस्कोपिक सर्जरी से गुजरना पड़ा। पिछले साल, एक कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान, उनके कंधे में गंभीर चोट लगी थी, जिसे पहले फ्रोज़न शोल्डर के रूप में निदान किया गया था और राहत के लिए स्टेरॉयड दिया गया था। लेकिन दर्द जारी रहा और वह अपना हाथ नहीं हिला सकते थे। आर्थोस्कोपिक सर्जरी के बाद, अब वह पूरी ताकत के साथ कुश्ती की मैट पर वापस जाने की योजना बना रहे हैं।
रोटेटर की समस्या ज्यादा:
छह माह के अध्ययन में कुल 80 से अधिक रोगियों की स्क्रीनिंग की गई। इसमें से इसमें से 70 फीसद कंधों में दर्द की वजह रोटेटर कफ की समस्या पाई गई। लेकिन वे इसके पहले फ्रोजन शोल्डर का गलत इलाज करा रहे हैं।
ऐसे होता है इलाज:
डा. शिव चौकसे के अनुसार रोटेटर कफ कंधे के जोड़ पर 4 मांसपेशियों का एक समूह है जो बढ़ती उम्र के साथ डिजनरेट होता जाता है और कभी-कभी तुच्छ आघात के बाद या आघात के बिना भी मुड़ सकता है जिससे विशेष रूप से रात में गंभीर दर्द होता है और कंधे में कमजोरी आती है। क्षतिग्रस्त कार्टिलेज को आथरेस्कोपी की मदद से सुक्ष्म शल्यक्रिया को अंजाम दिया जाता है।

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