स्वदेशी रेपिड टेस्ट और आरटी-पीसीएस नैदानिक किट बनाए जाने से मई 2020 के अंत तक आत्मनिर्भर हो जाएगा -डॉ हर्ष वर्धन

‘’कम से कम आधा दर्जन कैंडिडेट वैक्सीन में सहायता दी जा रही है जिनमें से 4 उन्नत चरण में हैं’’- डॉ हर्ष वर्धन

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली,
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने आज विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग और इसके स्वायत्त संस्थानों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकरणों-बीआईआरएसी और बीआईबीसीओएल द्वारा कोविड-19 की वर्तमान स्थिति से निपटने और विशेष रूप से वैक्सीन, रैपिड टेस्ट और आरटी-पीसीआर नैदानिक किट स्वदेशी रूप से विकसित करने की प्रगति की समीक्षा की।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने बताया कि उनके विभाग ने कोविड-19 से निपटने के लिए बहुमुखी अनुसंधान नीति और तत्काल कार्रवाई तथा दीर्घकालिक तैयारियां की हैं। कैंडिडेट वैक्सीन के विकास के लिए अनुसंधान, थेरापेटिक्स और कोविड-19 के लिए समुचित एनिमल मॉडल तथा वायरस और उसके जीवाणुओं के स्वदेशी नैदानिक और जीनोमिक अध्य्यन सहित बहुमुखी प्रयास किए जा रहे हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग और उसके सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकरण बायोटक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल(बीआईआरएसी) ने नैदानिक, वैक्सीन, नोवेलथेरेपेटिक्स दवाओं की रिपर्पजिंग या कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए किसी अन्य कार्रवाई की मदद के लिए एक कोविड-19 रिसर्च कन्सोर्टियम के गठन की घोषणा की है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिकों के साथ संवाद में केंद्रीय मंत्री को विभाग की प्रयोगशालाओं/स्वायत्त संस्थानों द्वारा सक्षम एंटीवायरल दवा के मॉलिक्यूल्स का अनुमान लगाने के लिए विकसित विभिन्न गणनात्मक तरीकों के बारे में बताया गया। एक अन्य नीति में वायरस के जीवनकाल और प्रजनन में एक या उससे अधिक महत्वपूर्ण चरण को प्रदर्शित करने के लिए वायरस की कृत्रिम उत्पत्ति विकसित की जा रही है । कोविड-19 के उपचार के उपरांत स्वस्थ हुए रोगियों में से या तो एंटीबॉडी या इंसान की एंटीबॉडी लाइब्रेरियों से इसे लेकर उसे निष्प्रभावी बनाकर आइसोलेट करने का कार्य प्रगति पर है। इसके अलावा विभाग के कई स्वायत्त संस्थान कैंडिडेट वैक्सीन के विकास पर काम कर रहे हैं जो कि प्रीक्लीनिकल अध्ययन के विभिन्न चरणों पर हैं। इसका उद्देश्य क्लीनिकल जांच से पहले अवधारणा का प्रमाण और प्रतिरक्षाजनत्व तथा सुरक्षा मूल्यांकन प्रदर्शित करना है। इस समय कम से कम ऐसे नौ अध्ययन प्रारंभिक चरण में हैं और कैंडिडेट वैक्सीन की प्रतिरक्षाजनत्व में सुधार के लिए एक डिलिवरी तथा सहायक सिस्टम विकास के उन्नत चरण में है।

जेनेटिक अनुक्रमण पर चर्चा करते हुए डॉ हर्ष वर्धन ने कहा ‘’ ये जेनेटिक अनुक्रमण प्रयास मुझे 26 वर्ष पहले के पोलियो उन्मूलन अभियान की याद दिलाते हैं। पोलियो अभियान के अंतिम चरण की दिशा में देश में एक्यूट फ्लेसिड, पैरेलिसिस के मामलों का पता लगाने के लिए सक्रिय सर्विलांस की गई थी। उस समय भी पोलियो वायरस के फैलाव के क्रम को साबित करने के लिए जेनेटिक अनुक्रमण किया गया था। जिससे पोलियो के उन्मूलन में अंतत: मदद मिली।

प्रेजेन्टेशन के बाद डॉ हर्ष वर्धन ने वैज्ञानिकों द्वारा कोविड 19 के प्रभाव में कमी लाने के लिए नवाचार तरीके से सॉल्यूशन विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों के कार्य की सराहना की। ‘’विभाग के वैज्ञानिकों के समर्पित प्रयासों से देश इस महीने के अंत तक आरटीपीएस तथा एंटीबॉडी जांच किट बनाने में आत्मनिर्भर बन जाएगा। इससे अगले महीने के अंत तक प्रतिदिन 1 लाख जांच किए जाने का लक्ष्य भी संभव बनेगा’’ उन्होंने कहा। केंद्रीय मंत्री ने वैज्ञानिकों से नए वैक्सीन, नई दवाओं और चिकित्सा उपकरण विकसित करने के लिए तेजी से काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा ‘’आधा दर्जन वैक्सीन कैंडिडेट में से चार उन्नत चरण में हैं और रेगुलरटी प्लेटफार्म का गठन एक स्थान पर त्वरित स्वीकृति के लिए किया गया है’’।

डॉ हर्ष वर्धन ने 150 से अधिक स्टार्टअप सॉल्यूशन को सहायता देने के प्रयासों के लिए बीआईआरएसी की सराहना की जिनमें से 20 से अधिक उपयोग में लाए जाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने विभाग के एक अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकरण भारत इम्यूनोलॉजिकल्स एंड बायोलॉजिकल कारपोरेशन लिमिटेड(बीआईबीसीओएल) द्वारा बनाए गए हैंड सैनिटाइजर को भी जारी किया। यह निगम विभिन्न बायोलॉजिकल फार्मेसिटिकल तथा खाद्य उत्पाद भी बना रहा है। वर्तमान में कोविड-19 के सॉल्यूशन में योगदान के लिए विटामिन सी और जिंक गोलियों के मिश्रण की टेबलेट बनाई जा रही हैं। ‘’सेनेटाइजर की प्रत्येक बोतल की बिक्री में से एक रूपए का योगदान प्रधानमंत्री केयर्स फंड में किया जाएगा’’ डॉ हर्ष वर्धन ने कहा।

विभाग की सचिव रेणु स्वरूप, वरिष्ठ अधिकारियों, स्वायत्त संस्थानों के निदेशकों, वरिष्ठ वैज्ञानिकों और बीआईआरएसी तथा बीआईबीसीओएल के वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित रहे।

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