ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, देश में एंटीबायोटिक दवाइयों की खपत लगातार बढ़ती जा रही है। केवल इतना ही नहीं एंटीबायोटिक खपत में भारत सबसे बड़े उपभोक्ताओं में शुमार हो गया है। एटना इंटरनेशनल के एक हालिया ेत पत्र एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक बहुमूल्य चिकित्सा संसाधन की ओर से बेहतर प्रबंधन शीषर्क से प्रकाशित एक लेख में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल पर तत्काल एक्शन लेने की जरूरत जताई गई है। इंडियन और इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित इस लेख में बढ़ती आय और सस्ते एंटीबायोटिक दवाओं के अनियमित बिक्री ने देश में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के संकट को बढ़ा दिया है। एंटीमिक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) दुनिया भर में करीब 7 लाख लोगों की मौत हो रही है और 2050 तक मृत्यु दर 1 करोड़ तक पहुंच सकती है।
12 देशों में किया गया सव्रेक्षण:
वर्ष 2015 में वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 12 देश के सर्वेक्षण में यह दर्शाया गया है कि भारत सहित चार देशों के कम से कम 75 प्रतिशत लोगों ने पिछले छह महीनों में एंटीबायोटिक लेने की पुष्टि की है। अकेले अमेरिका में 2 मिलियन से अधिक लोग प्रति वर्ष दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया की वजह से बीमारी से पीड़ित हैं। इसके लिए संयुक्त राज्य को स्वास्थ्य सेवा खर्च में अतिरिक्त 1 लाख 30 हजार करोड़ रु पये (20 अरब अमरीकी डॉलर) का खर्च आता है। ब्रिक्स देशों में एंटीबायोटिक खपत में 99 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। अनुसंधान के अनुसार जानवरों को दिया गया 75-90 प्रतिशत एंटीबायोटिक्स पर्यावरण के माध्यम से प्रतिरोधी बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है। यह मनुष्य और जानवरों को संक्रमित करते हैं।
ेतपत्र:
ेतपत्र में भूमिका निभाने वाले वेहेल्थ के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डा.प्रशांत के दास के मुताबिक अधिकांश भारतीय सोचते हैं कि एंटीबायोटिक दवाइयां सामान्य सर्दी और गैस्ट्रोएन्टेरिटिस जैसे बीमारियों का इलाज कर सकती हैं। उन्होंने इस धारणा को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के संक्रमणों में से अधिकांश वायरस के कारण होते हैं और एंटीबायोटिक दवाइयां उनके इलाज में कोई भूमिका नहीं होती हैं। अनुचित एंटीबायोटिक उपयोग की यह समस्या फार्मेसियों में आसान उपलब्धता को बढ़ाती है।
यह भी:
इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. आरएन मल्होत्रा ने कहा कि कई मामलों में, रोगी एंटीबायोटिक दवाओं के एलर्जी की प्रतिक्रिया, दस्त, उल्टी, किडनी की विफलता, रक्त शर्करा के स्तर में परिवर्तन और दिल और जिगर पर विषाक्त प्रभाव जैसे अवांछित गंभीर साइड इफेक्ट्स का अनुभव करते हैं। उन्होंने कहा इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।