किसान क्रान्ति यात्रा के पांचवे दिन मुजफ्फरनगर में दिखाया किसानो ने दम

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भारत चौहान,भारतीय किसान यूनियन द्वारा 23 सितम्बर से 2 अक्टूबर 2018 तक हरिद्वार के टिकैत घाट से दिल्ली किसान घाट तक किसान क्रान्ति यात्रा किया जा रहा है। जिसमें देशभर के सभी राज्यों से हजारों किसान हिस्सा ले रहे हैं। देश का किसान लम्बे समय से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू कराने एवं भाव व कर्जमाफी के सवाल पर आन्दोलनरत् है।
सरकार के चार साल पूरे हो जाने के बाद भी जगह-जगह खड़े हो रहे किसान आन्दोलन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गम्भीर नहीं है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार किसान खेती छोड़ रहे हैं। किसानों की आत्महत्यायें रूकी नहीं है, बल्कि बढ़ रही है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण कर्ज का भार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में न होकर बीमा कम्पनियों के हित में कार्य कर रही है। देश के गन्ना किसानों पर लगभग 19 हजार करोड़ रुपया गन्ना सीजन बन्द होने के बाद भी बकाया है। घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी ने 14 दिन में गन्ना भुगतान की बात कही थी। भारतीय जनता पार्टी का यह वादा भी किसानों के लिए जुमला ही साबित हुआ है। किसान के नाम पर बने एक आयोग की रिपोर्ट पिछले 15 साल से धूल चाट रही है। उसे लागू करना तो दूर आज तक उस पर संसद में चर्चा भी नहीं हुई। सरकारों द्वारा किसानों का उत्पीड़न जारी है।
किसान क्रान्ति यात्रा की शुरूआत में लगभग 30 हजार किसान व 500 से अधिक ट्रैक्टर शामिल हुए। जैसे-जैसे यात्रा मंगलौर मंडी, बरला इण्टर कालिज, मुजफ्फरनगर कूकडा मंडी रूकी, तो किसानों द्वारा यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया।
आज मुजफ्फरनगर से चलकर यात्रा का पडाव मुजफ्फरनगर के भैंसी गांव में होगा। यात्रा के मंसूरपुर पहुंचने पर किसानों का सैलाब उमड पडा। हजारों ट्रैक्टरों के साथ कई हजार किसान यात्रा में शामिल हुए। जिससे यात्रा में 50 हजार से अधिक किसान चल रहे हैं। यात्रा से आवागमन में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो रही है। किसानों का काफिला राष्ट्रीय राजमार्ग-58 पर अनुशासित तरीके से सड़क के एक तरफ चल रहा है।
यात्रा की विशेषता यह है कि यात्रा में बच्चो से लेकर बुजुर्ग, नौजवान एवं महिलाएं भी कंघे से कंधे मिलाकर साथ चल रही है। यात्रा का हर गांव कस्बे में भव्य स्वागत किया जा रहा है। यात्रियों के लिए हर गांव के सामने खाने की व्यवस्था का पूरा प्रबन्ध किया गया है। किसान गांव से दाल-चावल, आलू पूरी, खीर-हलवा तरह-तरह का भोजन लेकर यात्रियों का उत्साह बढ़ा रहे है। यात्रा का जगह-जगह ऐतिहासिक स्वागत किया जा रहा है। यात्रा 2 अक्टूबर को दिल्ली में प्रवेश करेगी। जिसमें लाखों किसानों के शामिल होने की सम्भावना है।

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