इहबास मरीजों की मृत्युदर का ग्राफ बढ़ा, सर्वाधिक मौतें न्यूरो सर्जरी व साइकाइटरी यूनिट में! – जनवरी 2019 माह में हो चुकी है 21 की मौत, वर्ष 2018 में हुई थी 142, वर्ष 2017 में 174 – अस्पताल बोला देश-दुनिया के मुकाबले हमारे यहां डेथ रेट कम -वर्ष 2016 से 100 क्रॉस कर रहा है मरीजों की मौत का आंकड़ा

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , राजधानी में मानिसक रोगियों के बड़े चिकित्सा केंद्रों में से एक मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान ( इहबास) में मरीजों की मृत्युदर में साल दर साल तेजी से इजाफा दर्ज किया गया है। संस्थान प्रशासन से प्राप्त रिकार्ड इस आश्य की तस्दीक करते हैं। साल 2016 से यह तादाद हर साल 100 से अधिक मृत्यु के आंकड़े को पार कर रही है। मौत की बढ़ते स्तर को अस्पताल प्रशासन गंभीर न मानकर सामान्य बता रहा है। प्रशासन का कहना है कि अस्पताल का डेथ रेट देश-दुनिया के दूसरे अस्पतालों की तुलना में बहुत कम है। अस्पताल प्रशासन ने दावा किया है कि मरीज अति गंभीर हालत में यहां लाए जाते हैं, अधिकांश मरीजों की मृत्यु की वजह न्यूरो सर्जरी और साइकाइटरी यूनिट में ज्यादा मौते हो रही है।
पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन स्थित दिल्ली सरकार के इहबास अस्पताल में मरीजों की मौत की बढ़ती तादाद का खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल ने बताया कि उसके यहां साल 2016 में 132, 2017 में 174 और 2018 में 142 मरीजों की मौत हुई। यह आंकड़ा चौकाने वाला नये साल में और ज्यादा दर्ज किया जा चुका है। इस साल यानी जनवरी 2019 में ही अकेले कुल 21 मरीजों की उपचार के दौरान दम तोड़ चुके हैं। फरवरी और 15 मार्च 2019 का आंकड़ा अभी जारी नहीं किया गया है।
मृत्यु की प्रवृत्ति:
इन तमाम मरीजों की मौत तीन तरह का उपचार करने के दौरान हुई। सबसे ज्यादा मरीजों की डेथ न्यूरोलॉजी के उपचार के दौरान हुई हैं। मरीजों की मौत की बढ़ती तादाद के अलावा अस्पताल ने आरटीआई के जवाब में यह भी जानकारी दी कि उसके पास ऐसे मरीजों की कोई जानकारी नहीं है जो वहां से ठीक होकर गए।
अस्पताल में मरीजों की मौत के संबंध में अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ निमेश देसाई ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। न्यूरोलॉजी में हमारे यहां बहुत सीरियस केस आते हैं जिसके चलते इसमें डेथ ज्यादा है। इसके अलावा न्यूरो सर्जरी और साइकाइटरी (मनो चिकित्सा क्लीनिक यूनिट) में भी मृत्यु हुई है। देश और दुनिया के दूसरे अस्पतालों के मुकाबले हमारे यहां मरीजों की डेथ का आंकड़ा कम है। अस्पताल में बेहतर इलाज देते हैं लेकिन कुछ लोग निजी स्वाथरे के चलते अस्पताल की छवि खराब करने की कोशिश करते रहते हैं। आरटीआई कार्यकर्ता सागर शर्मा के अनुसार दिव्यांग अधिकार अधिनियम होने के बावजूद इनकी इतनी मौत बड़ी चिंता की बात है। सरकार को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
इहबास अस्ताल की स्थिति
साल कुल मरीज
2010 688375
2011 1015963
2012 1136760
2013 1048472
2014 1191794
2015 1143896
2016 10455132
2017 14275174
2018 14521142

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