आईसीएमआर ने तैयार की हास्पिटल संक्रमण मुक्ति के लिए सख्त गाइडलाइन! -पोस्ट ऑपरेटिव, शल्यक्रिया कक्ष को हास्पिटल इनफेक्शन से बचाने के लिए ठोस प्रबंधन नीति तैयार -एक मरीज एक बिस्तर नीति लागू, बेशक हो वीआईपी का कितना ही क्यो न दबाव

0
671

ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,.अक्सर डाक्टर से मरीज यह कहते हुए ओपीडी, या पोस्ट आपरेटिव कक्ष के बाहर शिकायत करते हुए मिल जाता है कि सर्जरी के बाद उसे दूसरे प्रकार के संक्रमण मसलन मवाद पड़ना, अंदरुनी हिस्से में दर्द होना, सूजन हो रही है। ऐसे लक्षण डाक्टरों की नजर में हास्पिटल इनफे क्शन संक्रमण (एचपीवी) की स्थितियों की समीक्षा की जाएगी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) संक्रमण प्रबंधन के लिए हास्पिटल इनफेक्शन प्रिवेंशन एंड कंट्रोल गाइडलाइन (एचआईपीसीजी) तैयार की है। जिसके तहत सभी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां एचआईपीसीजी के निर्देशों को अम्ल में लाने के लिए एक्सपर्ट्स की एक टीम का गठन करें। वह अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों और सर्जरी की हर दो माह में संक्रमण के स्तर की समीक्षा बैठक लें।
ऐसे काम करेगी टीम:
एचआईपीसीजी टीम के एक्सपर्ट्स संक्रमण की रोकथाम की सघन निगरानी के लिए हास्पिटल इनफेक्शन कंट्रोल कमेटी (एचआईसीसी), आईसीएमआर के निर्देशों से हास्पिटल के डाक्टर्स को अवगत करने के साथ ही, एंटी माइक्रोबियल संबंधी संक्रमणों से होने वाले जाखिमों पर नजर रखेगी।
अगर फैला संक्रमण जबावदेही होगा एचओडी:
गाईडलाईन में सख्त हिदायत दी गई है कि यदि किसी भी अस्पताल में संक्रमण का स्तर ज्यादा पाया गया तो उसकी पहली जिम्मेदारी विभाग प्रमुख की होगी, दूसरे चरण में इसकी जबाव देही हास्पिटल कंट्रोल कमेटी के सदस्यों की होगी। इसमें यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि संक्रमण पाए जाने के बाद विभाग प्रमुख ने कमेटी के समक्ष क्या वे मुद्दे उठाए, रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए गए पर भी नजर रखी जाएगी।
आईसीएमआर की महानिदेशक एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में स्वास्थ्य शोध मामलों की सचिव डा. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि हम सख्ती से गाइडलाइन का अनुपालन सभी अस्पतालों से कराने के लिए रणनीति तैयार की है। जिसे मई माह के प्रथम सप्ताह से लागू कर दिया जाएगा। हास्पिटल इपिडेमिलॉजी इनफेक्शन कंट्रोल (एचईआईसी) के तहत बच्चों और किशोरोंमें होने वाले लाइन्न रामिरिज एमडी (एलआर-एमडी), कैटेराइन लाइव, अन्य प्रकार के निकोलस संक्रमण से आकस्मिक मृत्यु की संभावनाओं के ग्राफ में कमी दर्ज करेंगे। मरीजों का दर्द भी कम होगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here