अस्पताल प्रशासन के तुगलकी फरमान से आंदोलनरत डाक्टरों को बनाया उग्र -फोर्डा के समर्थन से अस्पताल प्रशासन बैकपूट पर

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , नार्थ दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन के अंतर्गत आने वाले हिंदूराव अस्पताल में डाक्टर की बेमियादी हड़ताल के पहले दिन ही राजनीति शुरू हो गई है। गांधीगिरी दिखाते हुए जहां सुबह रेजिडेंट्स डाक्टर्स एसोसिएशन ने पैरलल ओपीडी प्रारंभ कर दी, लेकिन अस्पताल प्रशासन के सख्त रुख के चलते पुलिस हस्तक्षेप के बाद एकेडेमिक ब्लाक में पैरलल ओपीडी बंद करा दी गई। जारी आदेश में तुरंत पैरलल ओपीडी बंद करने के निर्देश दिए थे। फिर हड़ताल ने हिंसा का रुख अख्तियार कर लिया, नाराज डाक्टरों ने मेज कुर्सी लेकर सड़क पर बैठ गए। वहीं पर मरीजों को देखा। दरअसल, इसके पहले आरडीए ने यह तय किया था कि वे बेमियादी हड़ताल करेंगे लेकिन इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर आंशिक रूप से ही पड़ेगा, ओपीडी में आने वाले मरीजों को दिक्कतें नहीं होंगी। वे गांधीगिरी के जरिए अपना रोष व्यक्त करते हुए अस्पताल प्रशासन पर दबाव बनाएंगे। उनकी मंशा पर पानी फिर गया। अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. नांगिया नागिया ने कहा कि जब उन्हें सेवाएं देनी है तो फिर ओपीडी कक्ष में क्यों नहीं दे रहे हैं, पैरलल ओपीडी लगाकर न्यूज सेंस क्रिएट कर रहे है। रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए हमने वरिष्ठ डॉक्टरों और मेडिकल ऑफिसरों को तैनात किया है। डॉक्टरों को वेतन न मिलने के प्रयास उच्च अधिकारियों की ओर से किए जा रहे हैं। जब तक रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे तब तक हम वरिष्ठ डॉक्टरों को अकादमिक एवं अन्य कामों से हटाकर सिर्फ इलाज के काम पर लगाएंगे। उनकी यह नसीहत आंदोलनरत डाक्टरों को नागवार लगी। वे और आक्रोसित हो गए, सड़कों पर आ गए वहीं पर ओपीडी सेवाएं शुरू कर दी। पूर्वाह्न 11 बजे तक डाक्टरों ने दावा किया पैरलल ओपीडी में आंदोलनरत डाक्टरों ने 300 से अधिक मरीजों को परामर्श दिया।
अस्पताल प्रशासन की मनमानी:
इस बीच आरडीए ने कहा कि अस्पताल प्रशासन यहां आरडीए द्वारा नाए गए पैरलल ओपीडी को हटाने के लिए कह रहा है। उन्होंने कहा कि वो शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग रख रहे हैं और मरीजों की सेवा भी कर रहे हैं। आरडीए के महासचिव डा. राहुल ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा यहां प्रशासन आरोप लगाते हुए कहा कि यहां प्रशासन अड़ियल रवैया अख्तियार कर रहा है।
मांग जैनुअन, राजनीति नहीं:
डाक्टरों का तर्क है कि विगत दिनों वेतन की मांग को लेकर आरडीए ने सांकेतिक हड़ताल कर प्रशासन के सामने अपनी मांग रखी थी। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने फंड ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया। अब स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मसले पर भी राजनीति हो रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली एमसीडी कहती है कि उसे दिल्ली सरकार फंड नहीं दे रही है और दिल्ली सरकार कहती है कि वो फंड दे चुके हैं। इस राजनीतिक लड़ाई में डाक्टर परेशान हैं। ऐसे में उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के सिवाय कोई और चारा नहीं हैं।
फोर्डा भी समर्थन में:
हिंदूराव अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों की स्ट्राइक को फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स असोसिएशन (फोर्डा) का भी समर्थन मिल गया है। फोर्डा के अध्यक्ष डा. सुमेध कुमार के मुताबिक अक्सर नगर निगम और राज्य सरकार डाक्टरों को वेतन देने में आनाकानी करते रहे हैं। म्यूनिसिपल कारपोरेशन के अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स को लंबे समय तक सैलरी नहीं देने अनुचित है। चूंकि डाक्टर मरीजों के प्रति संवेदनशील रहता है उसका अन्य कमाई का स्रेत नहीं होता है, 90 फीसद डाक्टर ऐसे होते हैं जो हायर एजूकेशन के लिए अध्ययन कर रहे हैं, वे दूसरी नौकरी भी नहीं कर सकते हैं। उन्हें केवल आासन दे दिया जाता है। सैलरी ना मिलने की वजह से घर चलाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में फोर्डा हिंदूराव अस्पताल की आरडीए द्वारा लिए गए निर्णय का हम समर्थन करती है। रेजिडेंट डॉक्टर्स को मजबूरी में इस तरह की स्ट्राइक का सहारा लेना पड़ता है ताकि प्रशासन के कानों तक आवाज पहुंचाई जा सके। बता दें कि फोर्डा से राजधानी के सभी 83 सरकारी अस्पताल, पोलीक्लीनिक्स जुड़े हैं। इन अस्पतालों के आरडीए फोर्डा के सदस्य होते हैं। फोर्डा के समर्थन देने से यह तय है कि प्रशासन पर दबाव तेजी से बनेगा।

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