स्वास्थ्य मंत्रालय की मेहनत रंग लाई, पीएम-जय के तहत 900 से अधिक अस्पताल शामिल होने के मूड में -नेशनल हेल्थ एजेंसी से करार करने के राजी हुए 70 फीसद हास्पिटल प्रमुख -अभी दिल्ली में सिर्फ 5 निजी अस्पताल इस योजना की जद में थे

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय) को लेकर दिल्ली सरकार को बड़ा झटका लगा है। पांच लाख रु पये के स्वास्थ्य बीमा वाली इस योजना के साथ एमओयू करने में अब तक न नुकर करने वाली दिल्ली सरकार को किनारा करते हुए केंद्र सरकार ने अब सीधे तौर पर दिल्ली के निजी अस्पतालों के साथ करार करना शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की उपक्रम नेशनल हेल्थ एजेंसी (एनएचए) के अनुसार दिल्ली में करीब 900 निजी अस्पताल चल रहे हैं। इनसे सीधा संपर्क करने का अभियान लगभग पुरा हो चुका है। कुछ सुविधाओं को अपडेट करने की इन अस्पतालों को सलाह दी गई है। इसके बाद इनमें से यह माना जा रहा है कि 70 फीसद अस्पताल योजना में शामिल हो जाएंगे। इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नेशनल हेल्थ एजेंसी (एनएचए) ने करार किया है।
दिल्ली सरकार ने अब तक नहीं दिखाई रूचि:
दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच शतरे पर सहमति नहीं होने के कारण दिल्ली और केंद्र के बीच आयुष्मान भारत को लेकर अब तक एमओयू साइन नहीं हुआ था। हालांकि इस बीच केंद्र ने एम्स, आरएमएल और सफदरजंग जैसे अपने अस्पतालों को जोड़ लिया, लेकिन दिल्ली सरकार और प्राइवेट अस्पतालों को नहीं जोड़ सके। इसे लेकर काफी प्रयास भी किए गए, लेकिन अब केंद्र ने निजी अस्पतालों को जुड़ने का खुला निमंतण्रदे दिया है। ऐसा करने पर संबंधित अस्पतालों को पूरा खर्च केंद्र सरकार को वहन करना पड़ेगा। आयुष्मान भारत के तहत 60 फीसद केंद्र और 40 फीसद बजट राज्य सरकार को देना तय हुआ था।
नेशनल पोर्टेबिलटी को बढ़ावा:
पीएम-जय के सीईओ डा. इंदुभूषण ने बताया कि नेशनल पोर्टेबिलटी को बढ़ावा देने के लिए निजी अस्पतालों से सीधा संपर्क किया जा रहा है। हमें दिल्ली में अस्पतालों की जरूरत है। हम दिल्ली सरकार को किनारा नहीं कर रहे केवल निजी अस्पतालों से सीधे करार कर रहे हैं। अब तक नांगलोई स्थित साइनस सोनिया अस्पताल, एसएस सुपरस्पेशिलिटी हास्पिटल, सर गंगाराम, बीएलके हास्पिटल इस महती योजना का हिस्सा बन चुके हैं।

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