देशभर में पल्स पोलियो अभियान के 25 वर्ष अक्टूबर, 2019 में पूरे हुए है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर टीके से बचाए जाने वाली बीमारियों से रक्षा के लिए प्रत्येक शिशु के पास पहुंचने के संकल्प को दोहराने के लिए दिल्ली सरकार में एक बार जबकि केंद्र सरकार में दूसरी बार केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का पदभार संभाल रहे डा. हर्ष वर्धन खासे खुश नजर आ रहे हैं। केंद्र सरकार अभियान के 25 वर्ष पूर्ण होने के खुशी में वे देशव्यापी आयोजन करने के मूड में भी है। जिसका लक्ष्य और उद्देश्य शत प्रतिशत 5 साल की आयु तक के शिशुओं को टीकाकरण कराना, स्वस्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कल दिल्ली पत्रिका के संपादक ज्ञान प्रकाश तिवारी से खास बात की.

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प्र. पल्स पोलियो अभियान के रजत जयंती मना रहे हैं।
उ. जी हां। पल्स पोलियो अभियान के 25 वर्ष के समारोह का आयोजन 31 अक्टूबर को डा. अंबेडकर अन्तरराष्ट्रीय केंद्र में किया जा रहा है। समारोह 3 घंटे चलेगा जिसमें पल्स पोलियो की सफलता की यात्रा पर एक फिल्म प्रदर्शित की जाएगी। इस आयोजन में पल्स पोलियो की सफलता यात्रा में शामिल प्रमुख हस्तियों के साथ पैनल डिस्कशन भी आयोजित की जानी है। इस समारोह में वर्ष 2017-18 के दौरान सघन मिशन इंद्र धनुष के अंतर्गत पूर्ण टीकाकरण कवरेज का 90 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने वाले 16 जिलों को सम्मानित किया जाएगा। जिसमें लगभग 800 से 900 प्रतिनिधियों के भाग लेने की आशा है।
प्र. उद्ेश्य क्या है।
उ. हम टीके से बचाए जाने वाली बीमारियों से रक्षा के लिए प्रत्येक शिशु के पास पहुंचने के संकल्प को दोहराना है। पल्स पोलियो अभियान के भारत में अग्रणी हैं। भारत में 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया था और यह काफी लम्बी स्मरणात्मक यात्रा थी उन्होंने कहा कि यदि हम देश के हर भाग में प्रति व्यक्ति के पास मतपत्र पहुंचा सकते हैं तो उसी तरह
हम प्रत्येक शिशु के पास जीवन रक्षक दो बूंदों की दवा भी पहुंचा सकते हैं। 2 अक्टूबर, 1994 को राजधानी दिल्ली में 4 हजार पोलियो केन्द्रों से 12 लाख शिशुओं को पोलियो रोधी दवा पिलाने में शानदार सफलता मिली। इस सफलता के बूते पर
1995 में देश भर में पल्स पोलिया अभियान शुरू किया गया। इस अभियान में योगदान देने वाले सभी पक्षों को धन्यवाद देना जरूरी है। भारत को यह अविस्मरणीय जीत सरकार के सशक्त नेतृत्व, आगे बढ़कर काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मिंयों की मेहनत और निष्ठा, समुदाय और धार्मिंक गुरूओं, स्वास्थ्य अधिकारियों, राज्य सरकारों, समाज के विभिन्न वगरे, आईएमए, आईएपी आदि पेशेवर संगठनों के सहयोग तथा सबसे महत्वपूर्ण वि स्वास्थ्य संगठन, रोटरी क्लब, लायन इंटरनेशनल तथा
युनिसेफ और हमारे देश के नागरिकों के सक्रिय सहयोग के कारण मिला।
प्र. पोलियो मुक्त भारत के मामले में सफलता व चुनौतियां क्या थी।
उत्तर: इस अभियान के अंतर्गत श्रेष्ठ प्रक्रियाओं और पल्स पोलियो अभियान के दौरान स्थापित व्यवस्था से अन्य स्वास्थ्य कार्यक्रमों को फायदा मिला। इनमें सामुदायिक स्तर पर प्रेरित करना, लोजिस्टिक प्रबंधन अंतिम मील तक पहुंचना और एक निगरानी पण्राली स्थापित करना शामिल हैं। पल्स पोलियो अभियान से मिली सीख से अन्य टीकाकरण कार्यक्रम अर्थात् मिशन इन्द्र धनुष और सघन मिशन इंद्रधनुष को अमल में लाने में मदद मिली। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन इंद्र धनुष को महत्वाकांक्षी कार्यक्रम मानते हुए इसे ग्राम स्वराज अभियान और विस्तृत ग्राम स्वाराज अभियान जैसे बहुमंत्रीस्तरीय कार्यक्रम में शामिल किया जिसके कारण हम देश भर में करोड़ों बच्चों का टीकाकरण कर सके।

प्र. वर्ष 2014 में एनडीए सरकार का गठन हुआ, सार्वभौमिक टीकाकरण अभियान कितना कारगर साबित हुआ। क्या अन्य मंत्रालय का सहयोग मिला।
उ. जबसे मोदी जी के नेतृत्व में 2014 में एनडीए सरकार का गठन हुआ तभी से सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम
में बीमारियों से बचाने वाले 12 टीके शामिल किए गए हैं। इससे पहले इनकी संख्या 7 थी। वर्तमान में मिशन इंद्र धनुष तथा इससे संबंधित अभियानों में भारत में 3.39 करोड़ शिशुओं और 87.2 लाख गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की
कामयाबी हासिल की गई है। इन अभियानों में सशक्त राजनीतिक प्रतिबद्धता और महिला बाल विकास विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय सहित 12 मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं।
प्र. पोलिया उन्मूलन का ख्याल कब और आपके जहन में कैसे आया।
उ. वि स्वास्थ्य संगठन की महासभा ने 1988 में वैिक पोलियो उन्मूलन पहल की शुरूआत करने का प्रस्ताव पारित किया था। दिल्ली सरकार ने डा. हर्ष वर्धन के नेतृत्व में 1994 में महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को उस समय के पहले
विशाल पूरक टीकाकरण अभियान ओपीवी की दवा पिलाने के साथ दो बूंद जिंदगी की टैग लाइन प्रचारित कर पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरूआत की थी। इसी तरह 4 अक्टूबर, 1994 को बूथ स्तर की रणनीति अपनाकर तीन वर्ष से कम आयु के 10 लाख शिशुओं को एक साथ पोलियो रोधी दवा की दो बूंदें दी गई थी। इस रणनीति को बाद में भारत सरकार ने पल्स पोलियो अभियान के रूप में लागू किया। भारत को 2014 में डब्ल्यूएचओ से पोलियो मुक्त देश का प्रमाण पत्र मिला।
इससे समूचा पूर्वी एशिया क्षेत्र पोलियो मुक्त घोषित किया गया।

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