स्वास्थ्य विभाग शिशुओं की जान जोखिम से बचाने की पहल, निमोनिया ग्रस्त बच्चों की होगी टैगिंग! -एक भी शिशु को निमोनिया से न हो आकस्मिक मृत्यु, चाइल्ड डाटा बैंक तैयार होगा -इस वर्ष का है थीम: उद्देश्य विभर में लोगों के बीच निमोनिया के प्रति जागरूकता फैलाना है

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली ,विश्व निमोनिया दिवस का इस वर्ष का थीम है निमोनियों की रोकथाम,लोगों के बीच इसके प्रति जागरुकता फैलाना है। निमोनियों का सबसे घातक असर नवजात शिशुओं से लेकर 5 वर्ष की उम्र के बच्चों के फेफड़ों को क्षतिग्रस्त करने पर पड़ता है। जिसे नियमित जांच और समुचित उपचार से रोका जा सकता है। चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय और कलावती शरन बाल चिकित्सालय में निमोनिया पीड़ित बच्चों की पहचान के लिए टैगिंग सिस्टम प्रारंभ किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट अगस्त 2019 में प्रारंभ की गई। जिसमें दर्ज आंकडों का खुलासा 12 नवम्बर को जारी किया जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदान के अनुसार परिवार कल्याण निदेशालय की देखरेख में यह प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया है। जिसे वर्ष 2020 में नीतिगत तरीके से राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके तहत निमोनिया डिजीज रिलेटिड पेशेंट्स का डाटा तैयार किया जाएगा। इसके तहत उसकी बीमारी की वजह, उपचार व नैदानिक जानकारियां एक चिप में बच्चे के परिजन को मुहैया कराया जाएगा। जिससे भविष्य में यदि बच्चा बीमार पड़े तो उसे देश के किसी भी अस्पताल में तत्परता से इलाज प्रारंभ किया जा सके।
निमोनिया को जड़ से खत्म करने की है दरकार:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया के अनुसार विभर में 12 नवम्बर को वि निमोनिया दिवस मनाया जाता है।बीते साल बच्चों में निमोनिया को समाप्त करना था। इस साल का थीम है। इस दिवस के माध्यम से कमजोर बच्चों तक पहुंचने का प्रयास किया जाना है। पहला वि निमोनिया दिवस 12 नवम्बर 2009 को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा विभर में मनाया गया था। इंटरनेशनल वैक्सीन एक्सेस सेंटर (आईवीएसी) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में निमोनिया और डायरिया से मौत के सबसे ज्यादा मामले भारत में होते हैं और 2016 में तकरीबन तीन लाख बच्चों की मौत हो गयी। जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा जारी 2016 के लिए निमोनिया और डायरिया प्रोग्रेस रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। इसमें कहा गया है कि दुनिया में भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कांगो और अंगोला में निमोनिया और डायरिया से सबसे ज्यादा मौत होती है ।
मुख्य तथ्य:
-उद्देश्य विभर में लोगों के बीच निमोनिया के प्रति जागरूकता फैलाना है।
-निमोनिया के प्रति लोगों को जागरूक करना।
निमोनिया:
एम्स में फेफड़े एवं सन तंत्रिका विभाग के अध्यक्ष डा. रणदीप गुलेरिया के अनुसार निमोनिया होने पर फेफड़ों में हवा की थैलियों में संक्रमण या बलगम भर जाता है। निमोनिया सबसे पहले फेफड़े के एक हिस्से को सख्त कर देता है। उसमें शुद्ध हवा का आवागमन बाधित हो जाता है। गंभीर निमोनिया घातक भी हो सकती है।
लक्षण:
सामान्य से अधिक तेज़ सांस या सांस लेने में परेशानी, सांस लेते या खांसते समय छाती में दर्द, खांसी के साथ पीले, हरे या जंग के रंग का बलगम, बुखार, कंपकंपी या ठंड लगना, पसीना आना, होंठ या नाखून नीले होना आदि।

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