जीटीबी अस्पताल का है बुराहाल, सर्जरी के बाद भी नहीं सुख रहे है जख्म! -40 घायलों का चल रहा है यहां इलाज, कहा दर्द कम न होने की वजह कहीं गुणवत्ताहीन दवाएं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , जीटीबी अस्पताल प्रशासन नार्थ ईस्ट दिल्ली के जाफराबाद, गोकलपुरी, चांद बाग, सोनिया विहार समेत अन्य इलाकों में बीते रविवार और सोमवार को हुई हिंसक घटना में दंगाइयों के घायलों की हालत अब असरदार इलाज और दवाएं नहीं मिलने से पतली होने लगी है। प्रशासन की भूमिका पर प्रश्न चिह्न लग रहे हैं कि घटना के 9 दिन पूरे हो चुकी हैं यहां पर अब भी 40 घायल ऐसे हैं जिनकी हालत में उम्मीद के सकारात्मक सुधार दर्ज नहीं हो रहा है। दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों से मिले रिकार्ड में अब तक यहां लाए गए 271 घायलों में से 45 की मृत हो चुकी है। इनमें से 38 की मौत इसी अस्पताल में हुई इनमें 28 ब्रॉड डेड लाए गए थे जबकि 10 घायलों की इलाज के दौरान मौत हुई।
इलाज में लापरवाही का आरोप:
भर्ती 40 घायलों का अलग-अलग विभागों में इनका इलाज चल रहा है। बीते 25 फरवरी को न्यूरोलॉजी विभाग में 15 लोगों को भर्ती कराया। इनमें से 8 लोगों की मल्टीपल हेड इंजरी होने पर सर्जरी की गई है तो अन्य 7 को गर्दन और सिर के साथ ही रीढ़ की हड्डियों में फ्रैक्चर का उपचार चल रहा है। इन घायलों ने यहां मिल रहे उपचार को नाकाफी बताया। उनका कहना है कि हमें यहां पर जो दवाएं दी जा रही है वह दर्द रोकने में नाकाफी साबित हो रही है, शरीर के जख्म को सुखाने वाले मरहम, दवा और इंजेक्शन तो वैसे टाइप पर दिया जा रहा है लेकिन उसका असर नहीं हो रहा है। एक मरीज के रिश्तेदार भाई नितीन ने कहा कि हमने कई बार डाक्टर साहब से मरीज को एम्स रेफर करने की सलाह दी लेकिन हमारे इस अनुरोध को अनदेखी कर दी गई। एक अन्य मरीज के रिस्तेदार राहुल ने कहा कि यहां सीटी स्कैन कराने के लिए मरीज को खुन से लथपथ हालत में राजीव गांधी सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल ले गए थे वहां पर करीब 5 घंटे इंतजार के बाद सीटी स्कैन हुआ। जब रिपोर्ट लेकर सर्जरी यूनिट के डाक्टरों को दिखाया तो उनका कहना था कि जांच समय पर नहीं हो पाने से रक्तस्रव अधिक हो गया है। जिससे उसका जीवन जोखिम में पड़ सकता है। उसके हाथ पैर तब से उठते ही नहीं है। कई बार उसकी याद्दास्त असामान्य हो गई है। अथरेपैडिक में 15 जबकि 9 मरीज सर्जिकल वार्ड में भर्ती किए गए हैं और एक मरीज को हेड इंजूरी होने पर आईसीयू में रखा गया है। इन विभागों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश के परिजनों में अब उनके जीवन को बचाने की चिंता सता रही है। इनमें 70 फीसद की हालत ऐसी है कि वे चाहते हुए भी निजी अस्पतालों का रुख नहीं कर पा रहे हैं जिनकी हिम्मत है उन्हें यहां से दूसरे अस्पताल नहीं भेजा जा रहा है।
हालांकि इस बारे में अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. सुनील कुमार गौतम ने जारी मेडिकल बुलेटिन दावा किया कि जो 38 लोगों की मृत्यु हुई। इनमें से 28 ब्राड डेड बीते माह 26 फरवरी तक लाए गए थे, अन्य 10 घायलों की यहां उपचार के दौरान अस्पताल में मौत हुई। बता दें कि अब तक 45 लोगों की हिंसा का शिकार हो चुके हैं। इनमें जीटीबी में 38, लोकनायक में 3, जगप्रवेश चंद्र अस्पताल में एक जबकि अन्य तीन शवों को रविवार को लाया गया।
नए घायल कहीं मुआवजा के लिए तो नहीं:
ताजा घटनाक्रम में बीते चौबीस घंटे के दौरान 42 ऐसे लोगों को अस्पताल में लाया गया जिनके रिश्तेदारों का कहना है कि वे हिंसक घटनाओं के दौरान घायल हो गए थे हिंसा के भय से अब अस्पताल लाए गए। हालांकि पुलिस इस दावें की जांच करेगी कि वास्तव में वे कब और कैसे घायल हुए। दरअसल, एक अधिकारी ने बताया कि अब ऐसे लोगों की फेहरिस्त लंबी हो सकती है जो खुद को हिंसक घटनाओं से जोड़ने का प्रयास इसलिए करेंगे ताकि दिल्ली सरकार द्वारा घायलों को घोषित की गई 25 हजार की राहत राशि के दावेदार सूची में आ सके। नए घटनाक्रम के अनुसार जीटीबी में खुद को हिंसा में घायल होने का दावा करने वालों में गत दिवस यानी 1 मार्च, रविवार को 32 जबकि 12 सोमवार को लाया गया।

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