ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , नोवो नोर्डिस्क एज्युकेशन फाउंडेशन ने ‘इम्पैक्ट इंडिया: 1000-डे चैलेन्ज’ प्रोग्राम के अंतर्गत इंडिया
डायबिटीज केयर इंडेक्स की पहले वर्ष की रिपोर्ट का अनावरण किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली शहर में लंबी अवधि के ब्लड शुगर नियंतण्रका सर्वाधिक अनुशंसित संकेत। एचवीए1सी लेवल 8.58 प्रतिशत से बढ़कर 8.76 प्रतिशत पहुंच गया है।
एचवीए1सी की जांच 3 महीने के लिये ब्लड शुगर नियंतण्रके औसत स्तर का अनुमान देती है। दिल्ली में 52 वर्ष की औसत आयु वाले लगभग 35 हजार 200 लोग इस विश्लेषण का हिस्सा बने, जिनमें 47 प्रतिशत पुरूष और 53 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कार्यक्रम के प्रमुख डा. अनिल शिंदे ने कहा नोवो नोर्डिस्क में हम लगभग 100 वर्षो से चेंजिंग डायबिटीज पर काम कर रहे हैं। इम्पैक्ट इंडिया पहल के साथ हमने एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और उम्मीद है कि हम भारत को डायबिटीज प्रबंधन में एक रोल मॉडल के तौर पर देखेंगे। इम्पैक्ट इंडिया: 1000-डे चैलेन्ज प्रोग्राम भारत में अनियंत्रित डायबिटीज की बढ़ती चिंता को दूर करने के लिये पेश किया गया था।
स्थिति है गंभीर:
एम्स में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के अध्यक्ष पद्मश्री डा. निखिल टंडन के अनुसार 73 मिलियन मामलों के साथ भारत डायबिटीज से पीड़ित लोगों के मामले में दूसरे नंबर पर है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 2045 तक यह संख्या दोगुनी हो जायेगी। नोवो नॉर्डिस्क मुहिम से डायबिटीज केयर को काफी बल मिलेगा और डॉक्टर्स को रियल-टाइम डेटा मिल पायेगा, जिससे इसे समझने और सुधार किये जाने वाले क्षेत्रों का आकलन करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही व्यवस्थित रूप से उसके अनुसार काम करने में भी मदद मिलेगी। एचवीए1सी में 1 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य टाइप 2 डायबिटीज के
ट्रायल के दौरान पाया गया, ऐसा अनुमान है कि इससे डायबिटीज से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक का खतरा 12 प्रतिशत, हार्ट अटैक 14 प्रतिशत, डायबिटिक आई डिजीज 31 प्रतिशत, डायबिटिक किडनी डिजीज 33 प्रतिशत और डायबिटिक लिम्ब डिजीज का खतरा 43 प्रतिशत तक कम हो जायेगा। इससे न केवल भारत के हेल्थकेयर की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि हार्ट अटैक, किडनी खराब होने और अंधेपन जैसी महंगी स्वास्थ्य समस्याएं भी कम होंगी।