सरकार को ई—कॉमर्स वेबसाइट्स द्वारा प्रत्यक्ष बिक्री वाले उत्पादों की बिक्री को निषेध करने के लिए नियामक ढांचे की स्थापना की करने की जरूरत है

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भारत चौहान नई दिल्ली,
ईबीजी संघ (ईबीजी) ने नई दिल्ली में 23 अप्रैल 2018 को अपने वार्षिक कार्यक्रम पर अपने पोजीशन पेपर का 16वां संस्करण जारी किया। इस कार्यक्रम में भारतीय प्रत्यक्ष बिक्री मंडल (आईडीएसए) की वार्षिक सर्वे रिपोर्ट 2016—17 भी जारी की गई। यह पोजीशन पेपर और आईडीएसए वार्षिक सर्वे रिपोर्ट डॉ. राजीव कुमार, वाइस चेयरमैन, नीति आयोग और महामहिम तोमास्ज़ कॉज्लॉस्की, भारत में यूरोपीय संघ के दूत द्वारा संयुक्त रूप से जारी की गई, जिसमें उनके साथ श्री अतुल चतुर्वेदी, अतिरिक्त सचिव, औद्योगिक नीति और प्रचार विभाग (डीआईपीपी), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, अरविंद गुप्ता, सीईओ, माईगॉव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय, सुश्री एमी कैज़्मिन, फाइनेंशियल टाइम्स में दक्षिण एशिया की ब्यूरो चीफ शामिल थे। दोनों की दस्तावेज सहायक व्यापारिक माहौल का निर्माण करने के लिए नीति सुधार की अनुशंसा करते हैं।

श्री रमन सिद्धू, चेयरमैन— ईबीजी फाउंउेशन इंडिया ने कहा, “भारत और यूरोपीय कंपनियों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य का सहयोग करने के लिए सभी ईबीजी सदस्यों का समर्पण देखकर काफी खुशी हुई। इस नए पोजीशन पेपर का लक्ष्य भारत में उद्योगों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जाता है, उनका पता लगाना है।”

आईडीएसए वार्षिक सर्वे रिपोर्ट बताती हैं, कि पिछले पांच सालों में 8.42% की वार्षिक दर से वृद्धि कर रहा, भारतीय प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग अब ई—कॉमर्स वेबसाइट्स से एक गंभीर चुनौती का सामना कर रहा है जो इसकी स्वीकृति के बिना प्रत्यक्ष बिक्री उत्पाद बेचते हैं।

विवेक कोटच, चेयरमैन, आईडीएसए ने कहा, “उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, भारत ने 2016 में प्रत्यक्ष बिक्री के दिशानिर्देशों को प्रकाशित करके एक प्रशंसनीय कदम उठाता था और यह उद्योग इसके सकारात्मक प्रभावों का सामना भी कर रहा है। काफी समय के बाद दो अंकों की वृद्धि दर्ज करते हुए, इस उद्योग के टर्नओवर के आंकड़े 10,000 करोड़ के आसपास पहुंच गए हैं। इन दिशानिर्देशों ने लोगों के आत्मविश्वास को भी खास तौर पर मजबूत किया है, जिस वजह से इस उद्योग के साथ जुड़ रहे प्रत्यक्ष विक्रेताओं में भी काफी वृद्धि देखने को मिली है; 2015—16 में 40 लाख प्रत्यक्ष विक्रेताओं की तुलना में 2016—17 में 50 लाख से अधिक प्रत्यक्ष विक्रेता हो गए। काफी स्पष्ट है कि फुल टाइम/पार्ट टाइम आय कमाने के मौके के रूप में लोग काफी तेजी से प्रत्यक्ष बिक्री से जुड़े हैं। मैं इस मौके पर आसानी से व्यापार करने की ओर एक और पर्थप्रदर्शक कदम उठाने के लिए सरकार को बधाई देता हूं।”

कंटार आईएमआरबी के साथ मिलकर, यह रिपोर्ट बताती है कि प्रत्यक्ष बिक्री उत्पाद बेचने वाली ई—कॉमर्स वेबसाइट्स ऐसी सबसे गंभीर चुनौती है जिनका सामना उन्होंने किया है और सरकार को एक कानूनी ढांचा स्थापित करने की जरूरत है जिसमें प्रत्यक्ष बिक्री इकाईयों की स्वीकृति के बिना ई—कॉमर्स वेबसाइट्स में प्रत्यक्ष बिक्री उत्पादों की बिक्री पर निषेध लगाने पर ध्यान देना चाहिए।

इन चुनौतियों के साथ, यह रिपोर्ट हालिया ट्रेंड्स को भी हाइलाइट करती है जैसे कि तकनीक का दक्ष उपयोग करना, वितरण अनुकूल मार्केटिंग योजनाएं, नए उत्पाद लाना, और सोशल मीडिया का प्रयोग करना।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग आर्थिक वृद्धि, स्वरोजगार और महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में बहुत से मौके देता है। इस उद्योग की कुल बिक्री 2015—16 में 83,085 मिलियन रुपए(8,308.5 करोड़ रुपए) से बढ़कर 2016-17 में 1,03,242 मिलियन रुपए (10,324.2 करोड़ रुपए) पर पहुंच गई, जिसमें इसने बिक्री में 24.26% की वृद्धि दर्ज की और इस उद्योग ने पिछले चार सालों में (2013-14 से 2016-17 तक) 8.42% सीएजीआर दर्ज किया।

अभिनव तकनीकों को तेजी से अपनाए जाने और प्रत्यक्ष बिक्री बाजार द्वारा 25—44 साल के उम्र समूह को मुख्य रूप से लक्षित किए जाने के साथ, ये संस्थाएं अपने प्रत्यक्ष विक्रेताओं को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने के लिए तकनीक का दक्ष उपयोग करने में सक्षम हुए हैं।

यह रिपोर्ट जोर देती है कि नियमित तौर पर नए उत्पाद लाकर, प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाएं विभिन्न वर्गो के उपभोक्ताओं की बढ़ती मांगों को सेवाएं देने में अग्रसक्रिय हुए हैं। इन संस्थाओं ने अपने प्रत्यक्ष विक्रेताओं को लंबे समय तक जोड़े रखने में भी मदद की है।

आईडीएसए की यह रिपोर्ट भारत में प्रत्येक क्षेत्रीय बाजार का अलग से परीक्षण करती है, जिससे भारतीय बाजार का ज्यादा पूर्ण ज्ञान मिलता है। यह भारत में संचालित कुछ अग्रणी कंपनियों, उनके योगदानों और उनके द्वारा अपनाई गई प्रमुख कार्यनीतियों पर भी चर्चा करती है। कुल मिलाकर, यह रिपोर्ट बाजार के उत्प्रेरकों, चुनौतियों, मौकों, भविष्य की योजनाओं, निवेश संभावना, तकनीक के प्रयोग, नियामक इकोसिस्टम, और विभिन्न कार्यनीतियों को शामिल करती है।

प्रत्यक्ष बिक्री निकाय फेसबुक, वॉट्सऐप आदि जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से अपने उत्पादों की मार्केटिंग करने पर भी ध्यान देते हैं। इससे उन्हें न्यूनतम खर्च के साथ ज्यादा उपभोक्ता आधार तक पहुंचने में मदद मिली है। प्रत्यक्ष बिक्री संस्थाओं का फेसबुक पर एक समर्पित पेज है, जिससे उनके मौजूद उत्पाद वर्गों के बारे में जागरुकता फैलाने और नए उत्पाद वर्गों के लॉन्च की घोषणा करने में उन्हें मदद मिली है।

इस मौके पर बात करते हुए, श्री पोंटस एंड्रिएसन, ग्लोबल रेगुलेटरी अफेयर्स कमेटी चेयर, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशंस (डब्ल्यूएफडीएसए) ने कहा, “भारत की तुलना में, दुनिया भर में, प्रत्यक्ष बिक्री काफी ज्यादा स्वीकार्य उद्योग है। बाजार के फलने—फूलने के लिए इस क्षेत्र को पारिभाषित और अंगीकार करने वाले कानून और एक्ट को तुरंत बनाना चाहिए।”

यह रिपोर्ट बताती है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई—कॉमर्स प्लेटफार्म्स प्रत्यक्ष बिक्री निकायों की स्वीकृति के बिना प्रत्यक्ष बिक्री उत्पादों की बिक्री करते हैं, जिसने उनके प्रत्यक्ष विक्रेताओं के अवधारणा स्तर को प्रभावित किया है। प्रत्यक्ष बिक्री करने वाली कंपनियां नहीं चाहती हैं कि ई—कॉमर्स प्लेटफार्म्स उनके उत्पाद बेचें क्योंकि इससे अद्वितीयता नहीं रह जाएगी और वे नहीं चाहते हें कि उनके उत्पादों की कीमतों में उतार—चढ़ाव आए।

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