नशे के लिए गांजा युवाओ की पहली पसंद

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भारत चौहान ,अगर आपके घर में कोई युवा है और पिछले कुछ दिनों में उसके खर्चे में बढ़ोतरी हुई है तो सावधान जाइए। क्योंकि विदेशी विश्वविद्यालयों और सब्सटेंस रिसर्च सेंटर द्वारा किए गए सामूहिक अनुसंधानों से पता चला है कि दिल्ली एनसीआर और प्रमुख शहर ही नहीं बल्कि देश के कई इलाकों के स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों का नशे की तरफ रूझान बढ़ा है। खास बात यह है कि एलएसडी और कोकीन के महंगे होने की वजह से यह रूझान अब गांजे और हशीश मे तब्दिल हो रहा है। क्लिनिकल मनोवैज्ञानिको के पास आ रहे गांजे के लत के शिकार युवाओं के पुनर्वास के बढ़ते मामले इस तथ्य पर मुहर लगाते हैं।

डॉक्टरों का मानना है कि छात्रों में इसके बढते चलन का कारण इसकी आसान उपलब्धता है। अक्सर छात्र इसे तनाव दूर करने के नाम पर शुरू करते हैं, जो बाद में लत मे तब्दिल हो जाती है। जो छात्र लगातार गांजे का सेवन करते है, उनमें सोचने की क्षमता, एकाग्रता और भूख लगने में कमी आ जाती है। इसमें दिमाग का कुछ भाग उत्तेजित होने पर महसूस होता है। जो रासायनिक यौगिकों से बनता है, लेकिन इससे अंत में शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है। लगातार इसका सेवन करने से चिंता, तंत्रिका संबंधी विकार, देखने की क्षमता से जुडे संज्ञात्मक प्रणाली में असमानता और कई सेहत से जुड़ी समस्याएं होने लगती है।
एम्स के साइकेट्री विभाग के प्रो. डॉ. नंद कुमार बताते हैं कि अक्सर युवा भगवान के प्रसाद या उनके द्वारा सेवन किए जाने के नाम पर भी इस्तेमाल करते हैं। उनका कहना है कि इसका सेवन करने वाले छात्रों की पढ़ाई के साथ ही समाजीक मनोविज्ञान भी प्रभावित होता है। उकना कहना है कि यह साबित हो चुका है कि गांजा इस्तेमाल करने वालों मे मनोविकार की समस्या होती है। जिसे लेकर अक्सर छात्रों के परिजन उनके पास आते हैं।

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