किसान रैली: मरीज के मुर्छित होते एम्स के डाक्टरों ने दिखाई फुर्ती, मौके पर टटोली नब्ज, पहुंचाया अस्पताल, बची जान! -एम्स के डॉक्टर किसानों के लिए लगा रहे थे जांच शिविर -आपस में चंदा एकत्रित कर किसानों को दे रहे मुफ्त सलाह, दवाएं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, राउंड द क्लाक अति गंभीर मरीजों की जांच बचाने में रत रहने वाले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डाक्टरों ने बृहस्पतिवार को यहां एतिहासिक रामलीला मैदान में अपनी मांगों को लेकर जुटे देशभर के किसानों की महारैली की सुध बेशक केंद्र सरकार ने अब तक नहीं ली है लेकिन इसके इतर रैली में मुर्छित हुए एक व्यक्ति को समय पर त्वरित ट्रसरी फेसीलिटी दी। उसे नई जिंदगी देकर मानवता का परचम् फहराने का प्रयास किया है। लोकनायक अस्पताल के आईसीयू यूनिट में भर्ती 50 वर्षीय पंजाब के निवासी अमरिंदर सिंह नामक इस मरीज की हालत खतरे से बाहर बताई गई है।
वक्त कम था बेहतर चिकित्सीय सुविधा से स्थिति समय रहते ही सुधरी:
एक ओर अपनी मांगों को लेकर देश भर से दिल्ली के रामलीला मैदान में किसानों के एकजुट होने का सिलसिला बृहस्पतिवार को दिन भर देखने को मिला। प्रदर्शन स्थल पर करीब 4 बजे अमरिंदर बेहोश हो गए। उनके मुंह से खून बहने लगा। ये सूचना मिलते ही वहां मौजूद एम्स के डॉक्टरों ने मरीज की मदद की और उन्हें प्राथमिक उपचार देते हुए तत्काल लोकनायक अस्पताल भर्ती कराया। डाक्टरों के संगठन यूआरडीए के अध्यक्ष डा. अंकित ओम के अनुसार शुक्र इस बात का रहा कि एम्स के डाक्टरों का समूह यहां स्वास्थ्य जांच शिविर लगा रहा है। यहां हमने अपना हेल्पलाइन भी जारी किया है। बेहोशी के चंद ही सेंकड में प्राथमिक उपचार मिलने के बाद किसान मरीज को होश आ गया था। फिलहाल उनकी स्थिति पहले से बेहतर है। हमने यहां मुफ्त शिविर लगाने की पहले ही घोषणा की थी। इस शिविर के लिए एम्स के डॉक्टरों ने ही आपस में चंदा एकत्रित किया। आज दिन भर डाक्टरों ने न सिर्फ किसानों के स्वास्थ्य की जांच की बल्कि उन्हें दवाएं भी उपलब्ध कराई। नैदानिक जांच के बाद अस्पताल के स्वास्थ्य अधिकारी डा. सिद्धार्थ राम ने बताया कि उसे माइनर ब्रेन अटैक आया था, इसके साथ ही हेमरेजिक फीवर की पहले इस रोगी को शिकायत थी, समय रहते उसे इलाज मिला। उसकी हालत में सुधार दर्ज किया जा रहा है।
300 से अधिक जांच:
एम्स रेजीडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डा. हरजीत भट्टी ने बताया कि शिविर में शाम तक करीब 300 किसानों की स्वास्थ्य जांच पूरी हुई है। ज्यादात्तर किसानों को शरीर में दर्द जुकाम और घबराहट की शिकायत देखने को मिल रही है। उनका मानना है कि काफी लंबी यात्रा करने के कारण किसानों को इस तरह की परेशानी आई है लेकिन शिविर में मौजूद डाक्टर लगातार उन्हें दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। अभी किसानों की रक्त जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है लेकिन डा. भट्टी की मानें तो अगर किसानों को गंभीर बीमारी की जांच होती है तो उन्हें एम्स में इलाज दिलाया जाएगा।
डाक्टरों की नजर में:
डॉक्टरों का कहना है कि बेशक भारत एक कृषि प्रधान देश हो लेकिन यहां के किसान हर तरह से पीड़ित हैं। न इन्हें बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं और न ही सरकार से राहत। इन्हें शारीरिक रु प से मजबूती देने के लिए ही एम्स के 22 से अधिक डाक्टरों ने दो दिन के लिए ये शिविर लगाया है।

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