ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, परिवार नियोजन कार्यक्रम को असरदार बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने नई पहल की है। इसके हत कापर-टी, निरोध और गर्भनिरोधक गोलियों के अलावा इंजेक्शन शामिल करने के लिए परिवार कल्याण निदेशालय ने फूलप्रूफ तैयारी की है। जनसंख्या नियंतण्रआधारित इस महती पहल के तहत स्वास्थ्य विभाग ने जर्मन कंपनी के नेट-इन नामक इस इंजेक्शन से दिए जाने वाले गर्भनिरोधक से संबंधित मानव परीक्षण तक की औपचारिकताएं पूरी कर ली है। जल्द ही इसे हरी झंडी मिलने वाली है।
सरकारी परिवार नियोजन में नेट-इन को डालने की तैयारी के तहत इसे देने की अवधि को तीन महीने से घटा कर एक महीने कर दिया गया है। एक अधिकारी ने दावा किया कि तीन-चार महीने में इसे देश के परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी शामिल किया जाएगा। पहले चरण में इस योजना को दिल्ली के 456 परिवार नियोजन केंद्रों, 39 सरकारी अस्पतालों में प्रारंभ किया जाएगा। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि जिला अस्पतालों में इसे प्रयोग के तौर पर लागू किया जाएगा या परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत। इस मुद्दे पर कुछ महिला संगठनों और स्त्री एवं प्रसूति विशेषज्ञों से रायशुमारी की जा रही है। इसके बाद ही स्वास्थ्य विभाग किसी अन्तिम नतीजे पर पहुंचने की संभावना है।
होगी सर्जन्स की कमी दूर:
स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवाल के अनुसार परिवार नियोजन के लिए पुरु षों की नसबंदी और महिलाओं की नलबंदी की जाती है। जिन परिवार नियोजन केंद्रों में सर्जन की कमी है उन रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके लिए डीएसएसबी को जिम्मेदारी दी गई है।
यह भी:
संयुक्त राष्ट्र ने 1989 में पहली बार 11 जुलाई को वि जनसंख्या दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की थी। परिवार नियोजन हर मनुष्य का अधिकार है। दरअसल, तेजी से बढ़ती दुनिया की आबादी ने हमारे सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। दुनिया की आबादी 760 करोड़ पहुंच गई है जो हर दिन, हर घंटे, हर सेकेंड बढ़ती जा रही है। बढ़ती आबादी से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के मकसद से परिवार नियोजन संसाधन की सहजता से उपलब्ध करने की प्रक्रिया तेज करने की जरूरत है। सरकार को कानून लाना चाहिए जिसके 2 से ज्यादा बचे हों उस की सारी सरकारी सुविधा खत्म करनी चाहिए। परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। सभी पीएचसी पर गर्भनिरोधक गोलियां और इंजेक्शन उपलब्ध है कि नहीं इसकी जांच के लिए नोडल अधिकारी औचक निरीक्षण करेंगे।
जागरुकता पर जोर:
कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डा. नवल किशोर ने बताया कि इस बारे में जागरूक करने के लिए एएनएम और आशा वर्करों को हिदायत दी गई है कि सभी वर्कर अपने-अपने एरिया में महिलाओं को परिवार नियोजन के बारे में जागरूक करें। महिलाओं को बताया जाए कि अब बिना नसबंदी या नलबंदी के भी परिवार नियोजन का तरीका अपनाया जा सकता है। अंतरा इंजेक्शन हर तीन महीने में एक बार लगवाना होगा, जबकि छाया गोली तीन महीने तक प्रतिदिन एक-एक गोलियां खानी होंगी। अगले महीने से सभी उप-स्वास्थ्य केंद्रों पर पूरी तरह से फ्री दी जाएगी।