ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली, दसवीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम का समय है और बच्चे इनकी तैयारियों में व्यस्त हैं। एग्जाम को लेकर बच्चों पर टेंशन भी हावी है। ऐसे में मां का रोल काफी अहम हो जाता है। उन्हें घर में पॉजिटिव माहौल बनाने के साथ बच्चे की हेल्थ और तैयारियों पर भी ध्यान देना होता है। मनो चिकित्सकों के अनुसार ऐसे में मां पर भी तनाव रहता है। बच्चों को एग्जाम फोबिया होना आम दिक्कतों के रूप में सामने आती हैं। इसे दूर करने के लिए जरूरी है कि पोजिटिव रुख को जीवन में अपनाए।
मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के निदेशक डा. निमेश देशाई के अनुसार एग्जाम शुरू हो गए हैं वैसे एग्जाम आते ही ज्यादातर स्टूडेंट खाना-पीना और सोने में तेजी से कटौती करने लगते हैं। इससे उनकी सेहत और याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं, रात भर जागकर पढ़ने के लिए कई स्टूडेंट एप्टॉइन, कफ सिरप व लेबर पेन की दवाओं का दुरु पयोग भी करते हैं। इससे कई तरह के दुष्प्रभाव का खतरा बढ़ता है। वि स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के निर्देशन में इहबास चाइल्ड बिहेवियर एक्सपर्ट की देखरेख में किए गए राजधानी के 24 स्कूलों के 3234 बच्चों पर किए गए हालिया अध्ययन के अनुसार इसके मुताबिक 15 फीसद बच्चे देर तक जागकर पढ़ने के लिए दवाओं का दुरु पयोग करते हैं। धीरे-धीरे उन्हें इन चीजों की लत पड़ जाती है और कई तरह की शारीरिक और मानिसक समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। 34 फीसद ऐसे बच्चे पाए गए जो एग्जाम की मार्क सीट आने के बाद दिन रात पढ़ाई करने के लिए विभिन्न प्रकार की योग क्रियाओं के साथ ही खान पान को काफी हद तक कम कर देते हैं, 12 फीसद इन क्रियाओं के साथ ही सुबह की सैर को गुडबाय कह देते हैं। उनका कहना था कि महीने भर यदि मेहनत कर लेंगे और सैर नहीं करेंगे तो क्या हो जाएगा, अच्छे अंक आ जाएंगे तो भविष्य संवर जाएगा। उच्च शिक्षा ग्रहण करने में उन्हें उनके मन माफिक विषयों के चयन करने का मौका मिलेगा।
एग्जाम फोबिया:
मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध डा. जीबी पंत अस्पताल में मनोरोग विभाग वरिष्ठ प्रो. डा. वरूण लता अग्रवाल के अनुसार एग्जाम फोबिया एक ऐसी मानिसक दशा है कि जिसमें एग्जाम (परीक्षा) के भय और घबराहट की वजह से विद्यार्थियों का उर्जा स्तर गिरने लगता है और मानिसक और शारीरिक तनाव के साथ-साथ मेमरी (स्मरण शक्ति) भी कम होने लगती है। स्टूडेंट्स को आसान से विषय भी कठिन लगने लगते हैं। उसके लिए बार-बार याद करने पर भी चीजों को याद करना कठिन हो जाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स निराशा और हताशा जैसी मानिसक दशा में तेजी के साथ घिरने लगता है। बच्चे की ऐसी आंतरिक मनोदशा को ही एग्जाम फोबिया कहा जाता है। एग्जाम की तैयारी बच्चे को करनी होती है। लेकिन उसमें मां का रोल काफी अहम है। किस तरह बच्चे को एग्जाम के लिए तैयार करवाया जा सकता है।
जरूरी टिप्स:
-सही कारण जाने, यह पता लगाए कि बच्चा को एग्जाम से डर क्यों लग रहा है।
-एग्जाम की तैयारी पूरी लगन, सकारात्मक सोच और आत्मविास के साथ करवाएं। बच्चों को यह समझाएं कि मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं है।
-नकारात्मक व्यक्तियों से बचें।
-पर्याप्त नींद जरूर लें।
-मन की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से ध्यान (मेडिटेशन) करें।
-संतुलित आहार लें। ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें
यदि हो दिक्कत तो:
यदि बच्चा एग्जाम फोबिया से परेशान है तो घर के वातावरण को बदलें। सुबह-शाम बच्चे के साथ सैर पर जाएं। पॉजिटिव लोगों और मित्रों से मिलें।