भारत चौहान नई दिल्ली, दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री एवं करावल नगर से विधायक कपिल मिश्रा ने एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरवाल की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। यह सवाल इस बार आम आदमी पार्टी के कोषाध्यक्ष राघव चढ्डा को वित्त विभाग का सलाहकार बनाने और दिल्ली विधानसभा में पेश बजट में सीधे सीधे गड़बड़ करने, अति गोपनीय दस्तावेजों की तह पर जाने और मनमाफिक औद्योगिक नीतियों की जानकारी लेकर अपनों को लाभ पहुंचाने,इसकी एवज में पार्टी फंड के चंदा लेने समेत कई आरोप लगाए हैं। दरअसल, इसके पहले मंगलवार को ही उपराज्यपाल ने निर्देश जारी करते हुए दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त किए गए 9 सलाहकारों की सेवाएं खत्म कर दी। निलंबित करने के बाद ही संबंधित सलाहकारों में से एक राघव चढड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस की और सफाई दी थी कि उनकी नियुक्ति इस पद के लिए करीब ढाई माह पहले ही की गई थी। उस वक्त मैंने सिर्फ सरकार से प्रतिमाह के हिसाब से एक रुपया लिया। इस हिसाब से नियुक्ति और सेवाएं समाप्त करने का कार्यकाल सिर्फ ढाई माह रहा, हिसाब से सरकार ने मुझे सिर्फ ढाई रुपये वेतन के रूप में दिया जिसे मैंने तीन रुपये 50 पैसे ज्यादा सरकार को लौटा दिया है।
विरोध में कपिल मिश्रा ने उनके अल्प कार्यकाल के दौरान अनगिनत आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान करोड़ों रुपये की अनियमितताएं हुई। जिसमें सबसे पुख्ता सबूत एक करोड़ रुपये (चढ्ढा) ने पार्टी फं ड में जमा कराना। ढाई माह तक दिल्ली सरकार का बजट बनाने की जिम्मेदारी देना गंभीर अपराध है। सरकार का 40 हजार करोड़ रुपये का बजट बनाने की जिम्मेदारी देना अनुचित है। इसके साथ ही सरकार की अति गोपनीय नीतियों, योजनाओं की जानकारी लेना, उद्यमियों को आब्लाइज्ड करने के लिए उनके मनमुताबिक योजनाओं पर अम्लीजामा पहनाना जैसे गंभीर मुद्दे रहे हैं। श्री मिश्रा ने कहा कि मामले की जांच उच्चस्तरीय एजेंसी से की जाए साथ ही इसके लिए दिल्ली सरकार के मुखिया को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री पद से इस्तिफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह अचरज है कि जिस व्यक्ति को वित्त विभाग में सलाहकार बनाया गया उसे उस क्षेत्र में दूर दूर तक कोई अनुभव नहीं है। गोपनीय दस्तावेजों में हेराफेरी राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है। दिल्ली के एतिहास में यह सबसे अक्षम्य घोटाला हो सकता है।