ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी नॉन कोविड अस्पतालों में भी फ्लू क्लिनिक अनिवार्य कर दिया है। नॉन कोविड अस्पतालों में नए मरीजों का कोरोना संदिग्ध की तरह इलाज करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा अस्पतालों में स्टाफ के आने जाने के लिए स्पेशल कॉरिडोर (ग्रीन कॉरिडोर) और कोरोना मरीजों के लिए अगल कॉरिडोर (येलो कॉरिडोर) चिन्हित करने को कहा गया है।
दरकार क्यों:
बीते 54 दिनों के दौरान कोरोना संदिग्धों की हुई मौत की डेथ ऑडिट हिस्ट्री के बाद संचारी रोग विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य सचिव को एक गाइडलाइन मसौदा दिया है। स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंघला ने कहा कि वैज्ञानिकों ने यह सुझाव दिया कि नॉन कोविड अस्पतालों में नए मरीजों का कारोना संदिग्ध श्रेणी में रखते हुए सलाज जारी रखा जाए। इस दौरान यदि किसी मरीज बेशक वह किसी भी अन्य प्रकार की गंभीर रोगों से ग्रस्त है मृत्यु हो जाती है तो उसकी डेथ ऑडिटिंग की जाए। इससे यह पता लगाने में आसानी होगी कि मृत्यु की वजहों में से एक कोविड-19 भी रहा है। दरअसल, कोरोना के कुछ लक्षण अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस से काफी मिलते हैं। इस वजह से हेल्थकेयर वर्कर्स से ऐसे मरीजों के मैनेजमेंट में गड़बड़ी होती है। इसे दूर करने और ऐसे मरीजों के नियमित इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइंस जारी की हैं।
फ्लू क्लीनिक जरूरी:
नए दिशा निर्देश के अनुसार इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई के मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए फ्लू क्लिनिक जरूरी कर दिया है, ताकि अगर कोई मरीज सर्दी, बुखार, जुकाम आदि की वजह से इलाज के लिए आए, तो उनकी जांच की जा सके। हर अस्पताल में अब एक अलग जगह ऐसे मरीजों के लिए तैयार की जाएगी। नॉन कोविड अस्पताल में आने वाले हर मरीज को पहले फ्लू क्लिनिक में जाना होगा। वहां उनकी स्क्रीनिंग होगी। यह क्लिनिक चौबीस घंटे काम करेंगे। अगर किसी मरीज में कोरोना वाले लक्षण होंगे, तो स्टाफ उन्हें कोरोना जांच की सलाह देंगे। इन क्लिनिक में स्टाफ पीपीई किट्स पहनकर काम करेंगे। जिस मरीज में लक्षण नहीं दिखेंगे, उन्हें वहीं दवा देकर घर भेज दिया जाएगा।
डीएसओं, सीडीएमओ की होगी संदिग्धों पर नजर:
इस बीच महानिदेशालय स्वास्थ्य सेवाओं की प्रमुख डा. नुतन मुंडेजा ने बताया कि अगर किसी नॉन कोविड अस्पताल में किसी मरीज में कोरोना की पहचान हो जाए, तो ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को इसकी सूचना डीएसओ, सीडीएमओ और डीजीएचएस को देनी होगी। अगर जरूरी हो तो स्टाफ, मरीज से उनके क्लिनिकल स्टेटस ले सकते हैं। ऐसे मरीज को तुरंत आइसोलेट करना होगा, उन्हें अलग कमरे में रखना होगा, मास्क देना होगा। यदि मरीज को कोविड अस्पताल में शिफ्ट करना है तो पहले अस्पताल प्रमुख को इसकी इत्तिला करनी होगी। बीते दिनों कई नॉन कोविड अस्पतालों में ऐसा मामला सामने आया, जब मरीज इलाज के लिए पहुंचा और बाद में उसे कोरोना हो गया। इससे स्टाफ के लिए भी खतरा बढ़ गया था।