भारत चौहान नई दिल्ली, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय होम्योपैथी विशेषज्ञों ने चिकित्सा के पारंपरिक रूप को मानकीकृत और लोकप्रिय बनाने के लिए सुरक्षित होम्योपैथिक वितरण अभ्यास को लागू करने की जरूरत पर बल दिया है। राजधानी के ओबराय के कन्वेंशन हाल में आयोजित ‘होम्योपैथी के मानकीकरण’ पर एक सम्मेलन में फ्रांस और भारत के विशेषज्ञों ने मरीजों को आधुनिक होम्योपैथिक दवाएं लिखने की आवश्याकता पर विचार-विमर्श किया। जो परंपरागत दवाओं की तुलना में अधिक गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वच्छता प्रदान करती हैं।
गुणवत्ता पैकिंग पर जोर:
नेहरू होम्योपैथ मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल पद्मश्री डा. (प्रो.) वी. के. गुप्ता ने कहा, होम्योपैथी में दवाओं के मानकीकरण की बहुत अधिक आवश्यकता है। दवाओं को स्वच्छतापूर्वक बनाया जाना चाहिए, उचित तरीके से स्टोर करना चाहिए और वितरण का तरीका एक दम सही होना चाहिए। होम्योपैथी की सफलता रोगी उपचार परिणामों में सुधार पर निर्भर है, जो स्वयं गुणवत्ता पर निर्भर है। यदि नए इनोवेशन को अपनाया जाता है, तो यह पूरे देश में होम्योपैथिक संरक्षकों के लिए राहत की बात होगी। उपभोक्ता यह मांग कर रहे हैं कि होम्योपैथी डॉक्टर्स वह दवाएं दें, जिसमें सामग्री को बताने वाला लेबल या दवा की सामग्री की जानकारी हो। अधिकांश लोग फैक्ट्री सील्ड बोतल और प्री सील्ड ट्यूब्स में बनी दवाओं की ओर शिफ्ट हो गए हैं, इनमें से ज्यादातर दवाएं जर्मन और फ्रेंच कंपनियों जैसे बायोरोन द्वारा बनी हैं।
होम्योपैथ विशषज्ञों को प्रशिक्षण की जरूरत:
बायोरोन की निदेशक और फ्रांस के सर्वोच्च सम्मान नाइट ऑफ दि लीजियन ऑफ हॉनर से नवाजी गई डा. मिशेल बायोरोन ने कहा, ‘निरंतर गुणवत्ता और पुनरु त्पादित परिणाम हासिल करने के लिए आधुनिकीकरण और मानकीकरण चिकित्सकों और मरीजों के लिए महत्ववपूर्ण है। उपभोक्ता होम्योपैथी पर भरोसा करते हैं क्योांकि ये प्रभावी और सुरक्षित हैं।