भारत चौहान नई दिल्ली, केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति-2020 का विरोध करते हुए आज आल इण्डिया स्माल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स फेडरेशन ने इस नीति पर तत्काल रोक लगाने की मांग का ज्ञापन ब्यूरो आफ आउटरीच कम्यूनिकेशन (डीएवीपी) के महानिदेशक सत्येंद्र प्रकाश को सौंपा। शनिवार को देशभर के सैकडो प्रकाशक डीएवीपी आफिस पर एकत्रित होकर इस नीति का विरोध करना चाह रहे थे किन्तु कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत शासन के निर्देशों का पालन करते हुए फेडरेशन के 4 सदस्यीय शिष्टमंडल ने डीएवीपी के महानिदेशक से मुलाकात कर ज्ञापन दिया।
फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरिन्दर सिंह ने महानिदेशक के समक्ष विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि जब पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और राष्ट्रव्यापी लाकडाडन के कारण प्रिंट मीडिया क्षेत्र संकटकालीन दौर से गुजर रहा है, ऐसे में मंत्रालय ने नई विज्ञापन नीति जारी कर असंवेदनहीनता का परिचय दिया है। नई विज्ञापन नीति के माध्यम से सरकार द्वारा देश के प्रिंट मीडिया तंत्र पर सुनियोजित तरीके से नकेल कसने की तैयारी की गई है। वास्तविकता में यह नीति सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली मोदी सरकार की लघु एवं मझोले समाचार पत्रों का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश लगती है। ज्ञात रहे इस विज्ञापन निति के चलते देश में लाखों लोग बेरोजगारी की विभीषिका से जूझने को मजबूर हो सकते हैं। सिंह के साथ प्रेस कांउसिल के सदस्य अशोक नवरत्न, फेडरेशन के दिल्ली प्रदेश प्रभारी पवन सहयोगी शामिल रहे। सनद् रहे कि सरकार द्वारा जारी प्रिंट मीडिया विज्ञापन नीति-2020 का देश भर के प्रकाशकों द्वारा विरोध किया जा रहा है। ऐसे समय में नई नीति लागू करने पर भी सवाल खडे हो रहे हैं। इस संबंध में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के मूक दशक बने रहने पर भी प्रकाशकों में आक्रोश है। प्रेस कांउसिल के सदस्यों ने काउंसिल के अध्यक्ष को पत्र लिखकर तत्काल इस नीति पर चर्चा कराये जाने की मांग की है और बिना चर्चा के सरकार द्वारा ऐसी नीति लागू करने पर नाराजगी व्यक्त की है। देश के प्रकाशकों की कई प्रतिष्ठित संस्थाओं ने मंत्रालय को पत्र लिख तुरंत इस नीति को वापिस लेने की मांग की है। प्रेस कांउसिल के सदस्य अशोक कुमार नवरत्न ने कहा कि सरकार की लघु एवं मझोले समाचार पत्रों को समाप्त कर देने की मंशा है।