अर्शदीप कौर नई दिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने आज इंटरनैशनल पंजाबी कांफ्रेंस का उद्घाटन किया। श्री गुरु तेग बहादर खालसा कॉलेज में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा पहली बार करवाई गई कांफ्रेंस अब हर दो वर्ष के बाद कमेटी द्वारा करवाने का ऐलान किया गया। मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में पंजाबी बोली की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भाषा सिर्फ बोलचाल के लिए नहीं होती बल्कि संस्कृति के उत्थान के लिए भाषा जरूरी होती है। प्राचीन भारत की वेद शास्त्र पंरम्परा से पंजाबी भाषा तक पहुंचने के इतिहास के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि बाबा फरीद के मीठे शलोकों ने इस्लामिक संस्कृति को गंगा-यमुना तहजीब के साथ जोड़ा था। सूफी दरवेश के कारण पंजाबी भाषा सिंधू नदी से यमुना नदी तक पहुंची थी। जिसके बाद गुरुनानक देव जी ने पंजाबी भाषा को गुरबाणी में इस्तेमाल करके ना केवल भाषा को नया उत्साह बख्शा बल्कि सुलझा हुआ, सेहतमंद तथा रचनात्मक जीवन जीने का संदेश दिया। गुरु अमरदास ने गुरमुखी लिपी की रचना करके पंजाबी भाषा को नया रूप तथा रंग दिया। महाराज रणजीत के राज दौरान शिक्षा का प्रचार-प्रसार सबसे अधिक हुआ था। जिसके कारण उनके राज दौरान साक्षरता की दर सबसे अधिक थी। 1947 में देश के बंटवारे के बाद पश्चिम पंजाब से उजड़ कर दिल्ली शहर में आये लाखों पंजाबीयों ने दिल्ली को पंजाबीयों का शहर बना दिया। आज दिल्ली शहर पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार तथा प्रकाशन का बड़ा केन्द्र बन चुका है। इस लिए अपनी भाषा की अमीरी को समझने तथा अपनाये जाने की जरूरत है।
कमेटी अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने हरेक वर्ष बाद अन्तराष्ट्रीय स्तर की पंजाबी कांफ्रेंस कमेटी द्वारा करवाने का ऐलान करते हुए दिल्ली शहर में पंजाबी भाषा को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिलवाने के लिए लड़ी गई लड़ाई पर रोशनी डाली। मौजूदा समय में नौकरीयों में पंजाबी भाषा के पीछे रहने की सच्चाई को स्वीकार करते हुए जी.के. ने भाषा की बदहाली के पीछे कार्य कर रहे लोगों के खिलाफ युद्ध स्तर पर कमेटी द्वारा अदालतों में लड़ी जा रही लड़ाई का भी जिक्र किया।
सिरसा ने कहा कि पंजाबी भाषा को बचाना तथा प्रचार करना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है। इसलिए दिल्ली कमेटी हर समय अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभाने के लिए प्रयत्नशील रहती है। इस अवसर पर कमेटी द्वारा कई गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान किया गया। जिसमें डा. मनमोहन सिंह, बडू साहिब के भाई महिन्दर सिंह, जस्टिस रजिन्दर सच्चर, अजीत ग्रुप के सतनाम सिंह माणक, पूर्व राजदूत के.सी. सिंह, प्रसिद्ध गायक हंसराज हंस, वैव गु्रप के राजू चड्डा सहित कई बुद्धिजीवी तथा विद्धान शामिल थे। पहले दिन पंजाब की आर्थिकता, गुरमत साहित्य परम्परा, पंजाबी पत्रकारिता तथा सूफी संगीत को लेकर विचार चर्चा तथा पेशकारी हुई। इस अवसर पर कॉलेज के चेयरमैन त्रिलोचन सिंह तथा प्रिंसीपल डा. जसविन्दर सिंह ने भी अपने विचार रखे।