तम्बाकू निर्मित उत्पादों की लत से छुटकारा पाने में दिलचस्पी लेने वालों में दिल्ली वाले पीछे! -यूपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली क्रमश: प्रथम द्वितीय, तृतीव व चतुर्थ स्थान पर

हर माह 5 हजार रु पये की तंबाकू खा जाते हैं -सेहत के साथ ही आर्थिक स्थिति हो रही है खस्ता, इसलिए इससे मुक्ति लेना चाहते हैं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , तंबाकू के सेवन और उससे निर्मित उत्पादों का सेवन करने की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए नेशनल तंबाकू क्वीट लाइन सर्विसेज के तहत पंजीकृत आंकड़ों को दिल्ली विविद्यालय से संबंद्ध बल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट (वीपीसीआई) ने जारी किए हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य समाने आए हैं। इसमें यह बात सामने आई है कि प्राइवेट नौकरी पेशेवर, खुद का व्यवसाय करने वाले लोग व छात्र तंबाकू का सेवन अधिक करते हैं। क्विट लाइन सेवा में अनुमानत: प्रात: 8 से रात्रि 8 बजे साल के 365 दिन मुफ्त में परामर्श लेने के लिए हर दिन 6 हजार से अधिक काल्स रिसीव की जाती है। हालांकि इसमें से कुछ फीसद ही स्थायी तौर पर तंबाकू छोड़ने में दिलचस्पी दिखाते हैं। देश के 27 राज्यों की अपेक्षा सबसे ज्यादा धूम्रपान छोड़ने के तौर तरीकों संबंधी जानकारी लेने के मामले में 20.08 फीसद जबकि दूसरे स्थान पर राजस्थान 12.88 फीसद, तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र 12.74 फीसद चौथे स्थान पर दिल्ली 10.64 फीसद दिलचस्पी ली है। पांचवे स्थान पर मध्यप्रदेश 6.16 फीसद, हरियाणा 5.11 फीसद, गुजरात 4.13 फीसद, बिहार 3.36 फीसद और उडिसा 1.54 फीसद धूम्रपान छोड़ने में दिलचस्पी ली।
तंबाकू का सेवन करने वालों में 20.6 फीसद छात्र:
तंबाकू का सेवन करने वालों में 68.5 फीसद लोग 25-64 साल की उम्र के थे। इसके अलावा 29.24 फीसद लोगों की उम्र 15-24 वर्ष के बीच थी। क्विट लाइन की हेल्पलाइन पर 22 बच्चों ने भी कॉल करके तंबाकू छोड.ने में मदद मांगी।
हेल्पलाइन पर कॉल करने वालों में 97.8 फीसद पुरु ष व 2.2 फीसद महिलाएं थीं। पेशे की दृष्टि से आंकलन करने पर पता चला कि 37.7 फीसद लोग निजी कंपनियों में नौकरी करते थे। 29.1 फीसद लोग व्यवसाय करते थे। सिर्फ 6.1 फीसद लोग सरकारी नौकरी करने वाले थे। 20.6 फीसद छात्र, 4.6 फीसद बेरोजगार व 1.9 फीसद सेवानिवृत्त लोग थे।
पहल के मिल रहे हैं सकारात्मक परिणाम:
वीपीसीआई के निदेशक एवं नेशनल सेंटर ऑफ रेस्परेटरी एलर्जी विभाग के प्रोफेसर एवं क्वीट लाइन के नोडल अधिकारी डा. राजकुमार ने कहा कि अच्छी बात यह है कि क्विट लाइन सेवा में पंजीकृत 40 फीसद लोगों ने तंबाकू का सेवन छोड़ दिया है। इसमें कई लोग ऐसे हैं, जो तंबाकू सेवन का खर्च उठा पाने में खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे।
सेहत नहीं आर्थिक स्थित भी बिगडी:
क्विट लाइन सेवा की हेल्पलाइन पर कॉल करने वाले करीब 30 फीसद लोग तंबाकू के सेवन पर हर महीने पांच हजार और 3 फीसद लोग पांच हजार रु पये से भी अधिक खर्च कर देते थे। इसलिए तंबाकू के सेवन से लोगों की सेहत ही नहीं बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी बिगड़ रही है।
फूल ट्रीटमेंट में रूचि :
केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय की सघन निगरानी में शुरू की गई इस पहल के प्रमुख डा. राजकुमार के अनुसार इसलिए उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी थी। उन्होंने कहा कि 30 मई 2016 से 31 मई 2017 के बीच 5179 लोग पंजीकृत किए गए जो तंबाकू का सेवन छोड़ना चाहते थे। इस दौरान 2010 लोग तंबाकू का सेवन छोड़ने में कामयाब हुए लेकिन 3169 लोग तंबाकू का सेवन नहीं छोड़ पाए। वर्ष 2018 और 2019 के दौरान करीब 22 फीसद ज्यादा लोगों को पंजीकरण किया गया और क्वीट टोबैको की पहल में पूरी तरह से 26 फीसद इजाफा हुआ।

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