भारत चौहान
नयी दिल्ली, 4 फरवरी। ‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ गेम के पीडतिों और संचालकों की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित किया जा रहा है जिसका उद्देश्य बच्चों और वयस्कों को इस खतरनाक खेल में फंसने से बचाना है।
बीते वर्ष सितंबर में शुरू प्रोजेक्ट को इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा तैयार किया जा रहा है।
संकाय प्रभारी प्रोफेसर पन्नुरंगम कुमारगुरू ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में लोगों की जान बचाने के लिए उसी तकनीक का प्रयोग किया जाएगा जिससे लोगों की जान जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘लक्ष्य पीडतिों और संचालकों की पहचान करना है, ये दोनों एक दूसरे से संवाद करने के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि पहले यह खेल केवल रूस के सोशल नेटवर्किंग साइट वीकोनतेकते पर मौजूद था जो अब ट्विटर, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों तक फैल गया है।
प्रोफेसर ने कहा, ‘‘हमने उनकी बातचीत में एक खास पैटर्न पाया है। आप सोशल मीडिया पर संदेश देख सकते हैं, जैसे मैं खेलना चाहता हूं या मुझे खेल, समूह में शामिल कीजिए और अगर आप खेलना चाहते हैं तो मुझे फालो करें।’’
ब्लू व्हेल चैलेंज अपने खेलने वालों को कई काम करने की चुनौती देता है। खिलाडी को 50 दिन में काम पूरे करने होते हैं। अंतिम कार्य खुदकुशी करना होता है।