कोरडाक्टर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स में कोविड-19 कारण, अस्पताल प्रमुखों संवेदनहीनता! -संक्रमितों की जुबानी: दिशा निर्देशों के अनुसार यदि कोई भी स्टाफ में संक्रमण के लक्षण आए या फिर कोई पोजिटिव पाए जाता है तो उसके संपर्क में आने वालों को क्वारंटाइन जरूरी

लेकिन जिन 6 अस्पतालों को ऑपरेशन शील्ड के तहत सील किया गया है वहां के अधिकारियों ने हेल्थ वर्कर्स के दर्द को दबाने का प्रयास

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , महामारी कोरोना की जंग से राउड द क्लाक जूझते हुए संक्रमितों का जीवन बचाने वालों डाक्टर्स, नर्सिग स्टाफ, तकनीशियंस समेत अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स का जीवन तेजी से संकट में पड़ता जा रहा है। दरअसल, ये नतीजे अब तक राजधानी में आपरेशन शील्ड के तहत सील किए गए अस्पतालों से प्राप्त डेटा के आधार पर निकाले गए हैं। डाक्टरों, फ्रं टलाइन वर्कर्स का कहना है कि एक भी मामला किसी भी डिपार्टमेंट में जब पोजिटिव पाए जाता है तब उस संक्रमित के संपर्क में आने वाले सभी लोगों को क्वारंटाइन के साथ ही कोविड-19 जांच जरूरी है। विरोध करने पर ड्यूटी दूसरे डिपार्टमेंट में लगा दी जा रही है।
लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में 15 दिन पहले ही एक नर्सिग स्टाफ कोरोना पोजिटिव पाए गई। इसकी ड्यूटी प्रसूति यूनिट में थी। उसने क्वारंटाइन पर नहीं भेजा गया, जबरन ड्यूटी दूसरे डिपार्टमेंट में लगा दी गई। नतजीतन रविवार को यहां के स्टाफ ने अपनी जांच निजी पैलैब कराया। इसके बाद डा. बीके तिवारी, डा. अखिलेश सहगल, डा. अर्चना सिंह, डा. निदा, डा. अप्राजिता, नर्सिग स्टाफ में जिन्सी मैथ्यू, लिना एस चरियन, रीतू कुमारी, सोबिता, ज्योति, लोकेशन, गोविंद, उर्मिला, विनोद, जितेंद्र, पंकज, नर्सिग अर्दली जोगिंदर, गिरीश, नेहा, गुलिस्ता, पिंकी, राहुल, हरी किशन, हाउसकीपिंग में लक्क्ष्मी, शीला, आजाद, पवन को क्वारंटीन पर भेजा गया है। इसी तरह से जीटीबी अस्पताल में सर्जरी यूनिट के डा. वैभव शुक्ला को फीवर था, फिर भी उनसे सर्जरी टीम में शामिल किया गया। नतीजतन अब तक इस अस्ताल में कम से कम 25 लोग संक्रमित हो चुके हैं।
यही नहीं, डा. अंबेडकर हास्पिटल के डाक्टरों की माने तो यहां अस्पताल प्रशासन इरादतन स्टाफ को सक्रमित करने पर आमादा है। इसमें टेस्टिंग लैब 5वीं मंजिल पर है। कोई पॉजिटिव मरीज आया तो पूरा अस्पताल चक्कर लगाकर जाएगा और सब को संक्रमित कर देगा। 40 साल की महिला की कोविड-19 से मौत के बाद इन सभी कोक्वरंटाइन किया गया है। यहां पर अब 12 डाक्टर समेत 57 लोगों को क्वारंटाइन किया जा चुका है। वरिष्ठ डाक्टर के अनुसार डाक्टर संक्रमित था लेकिन उसे जांच करने के अनुमित अस्पताल प्रशासन ने नहीं दी। जब उसे तेज फीवर हो गया तब उसके रिश्तेदारों ने उसकी जांच निजी पैथलैब में कराई। तब उसमें कोरोना पॉजिटिव पाया गया। दस दिन पहले एक पॉजिटिव महिला की मौत हो गई थी। तब से न तो किसी को क्वारंटीन किया नहीं जांच कराने की ही अनुमति दी। नतीजतन बीते 48 घंटे के दौरान 6 डाक्टर समेत 60 लोग क्वांटाइन पर भेजा गया है। ऐसी ही स्थिति अन्य अस्पतालों की भी है।
जबावदेही होगी तय:
इस बीच दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंघला ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है, उन्हें डाक्टरों के एक संगठन से एक शिकायत मिली है। इसकी जांच की जाएगी। संबंधित अस्पताल प्रमुख की यह नैतिक जिम्मेवारी है कि वह डाक्टरों, फ्रंटलाइन वर्कर्स के स्वास्थ्य का ख्याल रखें। बहरहाल, अब भी यमदूत कोरोना को मात देकर संक्रमितों का जीवन बचाने वाले डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ के समक्ष यही यक्ष प्रश्न है कि उन्हें न्याय कब और कैसे मिलेगा।

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