कोरोना की मार प्रसुताओं पर! -जीटीबी अस्पताल की प्रसूति यूनिट बंद, प्रसूताओं की मुसीबतें बढ़ी -प्रशासनिक आदेश ठेंगे पर, तीन माह के लिए छुट्टी पर गई डाक्टर

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, जीटीबी अस्पताल में पंजीकृत प्रसुताओं को आजकल दोहरी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, दो सप्ताह पहले स्वास्थ्य विभाग ने इस अस्पतालों को पूरी तरह से कोविड सेंटर के रूप में तब्दील कर दिया था। तब से यहां की स्त्री एवं प्रसूति यूनिट बंद कर दी गई है। यहां पंजीकृत प्रसुताओं को उस वक्त सहुलियत देने के मद्देनजर यह निर्देश जारी किया गया था प्रसव पीड़ित महिलाओं की डिलीवरी स्वामी दयानंद अस्पताल में होगी। इस यूनिट की एक डाक्टर को जीटीबी से एसडीएम हास्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन ताज्जुब यह है कि शिफ्ट की गई डाक्टर तीन माह के अवकाश पर चली गई है। अवकाश पर जाने का कोई कारण भी नहीं बताया गया है। सूरतेहाल यह है कि इस वजह से जीटीबी अस्पताल का अतिरिक्त दबाव अब इस अस्पताल की प्रसुति रोग विभाग पर पड़ गया है। जहां पर सिर्फ एक ही डाक्टर है, जिस पर प्रसुताओं का पहले से ही क्षमता से कई गुना ज्यादा दबाव रहता है। यहां पर हर दिन गंभीरावस्था में प्रसव पीड़ा से त्रस्त आने वाली प्रसुताओं की मुसीबतें और बढ़ गई है। उन्हें डाक्टर तक पहुंचने में घंटों वेटिंग का सामना करना पड़ता है। स्त्री एवं प्रसूति यूनिट फिलहाल सिर्फ एक ही डाक्टर के भरोसे चल रही है।
चुनौती पूर्ण हालात:
प्रसुताओं ने कहा कि कोरोना पहले ही सक्रिय है, सिर्फ एक डाक्टर है। जो ड्यूटी के दौरान निष्ठा पूर्वक सेवाएं दे रही है लेकिन यहां कम से कम 4 डाक्टरों की ड्यूटी होनी चाहिए। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि जीटीबी से एक डाक्टर को भेजा गया था। उस डाक्टर ने तो अब तक ज्वाइन ही नहीं किया है। इस वजह से एक डाक्टर पर क्षमता से कई गुना दबाव बढ़ गया है। यहां पर 80 फीसद प्रसुताएं आर्थिक रूप से कमजोर तबके से आती है। जिनमें खून की कमी, उच्च रक्तचाप, वजन कम होने के साथ ही कई अन्य प्रकार की बीमारियां रहती है। ऐसी हालत में उनकी कई प्रकार की जांच और तुरंत ट्रसरी स्वास्थ्य सेवाएं देने की जरूरत रहती है। जो डाक्टर की कमी की वजह से नहीं मिल पा रही है। उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह निजी अस्पताल में 20 से 25 हजार रुपये अदा कर डिलीवरी करा सकें । आसपास और कोई सरकारी अस्पताल भी नहीं है। जो हैं भी वह काफी दूरी पर है। जहां पर पहले से ही प्रसुताओं की लंबी फेहरिस्त है।
भेजा गया है नोटिस:
इस बारे में फॉर पीपल फाउंडेशन ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर और क्षेत्र की अतिरिक्त आयुक्त अलका शर्मा को समस्याओं के निराकरण के लिए पत्र भी भेजे हैं। अतिरिक्त आयुक्त अलका शर्मा ने डाक्टर के तीन माह के अवकाश जाने पर हैराना जताई। उन्होंने कहा कि शहर में जब कोरोना वैिक महामारी से हर शख्स परेशान है। ऐसे में सभी डाक्टर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स की छुट्टियां रद्द कर दी गई है। उल्लंघन करने पर उस डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल, इस अस्पताल में डिलीवरी कराने की आस में आने वाली प्रसूताओं की दिक्कतें कब कब होगी, फिलहाल यह यक्ष प्रश्न है।

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