कोरोना मरीज ने दिल्ली सरकार के जीटीबी अस्पताल के मुकाबले केन्द्र के आएमएल अस्पताल को बताया स्वर्ग – जीटीबी के बाद आरएमएल में इलाज करा रहे दिल्ली निवासी महेंद्र सिंह रावत

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भारत चौहान नई दिल्ली, कोरोना काल में राजधानी दिल्ली की हालत बहुत खराब है। यहां कोरोना संक्रमितों के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले 50 हजार के करीब पहुंच चुके हैं। वहीं इस महामारी से 1969 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी के अधिकतर अस्पताल भी मरीजों से भरे हैं। दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज महंगा होने कारण लोग सरकारी अस्पतालों में जाते हैं।हालांकि एक कोरोना मरीज का दावा है कि केन्द्र सरकार के अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए व्यवस्था दिल्ली सरकार के अस्पताल के मुकाबले अच्छी है।

कोरोना का उपचार करा रहे दिल्ली निवासी महेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि दिल्ली सरकार के गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए बहुत खराब व्यवस्था है जबकि राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) में कोरोना मरीजों के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था है। वहां मरीजों की अच्छे से देखभाल की जाती है। आरएमएल केंद्र सरकार के अधीन है।

दरअसल, रावत पहले जीटीबी अस्पताल में भर्ती थे, लेकिन वहां की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण वे बाद में आरएमएल अस्पताल में भर्ती हो गए। वे अभी आरएमएल में भर्ती हैं और उनका स्वास्थ्य भी बेहतर है।

महेन्द्र रावत ने शुक्रवार को दिल्ली पत्रिका से बातचीत में बताया कि बीते 08 जून को सांस लेने थोड़ी तकलीप होने के बाद वे दिल्ली के शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश अस्पताल गए। वहां उनका एक्स-रे किया गया और डॉक्टरों ने छाती में संक्रमण की शिकायत बताई। इसके बाद वे गुरु तेग बहादुर अस्पताल गए, लेकिन यहां भर्ती होने के बाद पता चला कि यहां की व्यवस्था कोरोना मरीजों के लिए कितनी खराब है। उन्होंने बताया कि वहां कोई व्यवस्था नहीं है। वहां न तो अच्छे से सफाई होती है और न तो कोई डॉक्टर मरीज को देखने आता है। अस्पताल में मरीजों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था तक ठीक नहीं है। एक मशीन से 10-10 लोगों को पाइप लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है। वहां वार्ड में पंखे तक की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने बताया कि अस्पताल के टॉयलेट भी बहुत छोटे हैं। एक मरीज भी वहां ठीक से खड़ा नहीं हो पाता और यहां न तो सैनिटाइजर है और ना ही साबुन। वहां अगर किसी कोरोना मरीज को कोई परेशानी होती है तो डॉक्टर तीन-तीन घंटे बाद आते हैं। जब तक मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ न जाए तब तक नहीं आते हैं। स्टाफ तक खुद मरीजों को देखने के लिए वॉर्ड में नहीं जाता। अस्पताल की हालत इतनी खराब है कि वहां से मरीज चुपचाप भाग जाते हैं। वहां किसी मरीज के भर्ती होने का मतलब अपनी जान से हाथ धोना है।
12 जून से आरएमएल में करा रहे इलाज
महेन्द्र रावत जीटीबी अस्पताल में व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण 12 जून को आरएमएल अस्पताल में भर्ती हो गए और तब से वे यहां भर्ती हैं। साथ ही उन्होंने अपना स्वास्थ्य भी पहले से काफी बेहतर बताया। रावत ने जीटीबी अस्पताल के मुकाबले आरएमएल अस्पताल को मरीजों के लिए स्वर्ग बताया। उन्होंने बताया कि कोरोना मरीजों के लिए यहां सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साफ-सफाई का अच्छे से ध्यान रखा जाता है। यहां के डॉक्टर घरवालों की तरह मरीज का ध्यान रखते हैं। किसी भी मरीज को अगर कोई भी परेशानी है तो डॉक्टर तुरंत आते हैं और उसका इलाज करते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि बाहर की क्या स्थित है यह नहीं जानते, लेकिन यहां अंदर मरीजों को अच्छी सुविधाएं मिल रही हैं। उन्होंने खुशी जाहिर की कि सभी स्तर पर आरएमएल अस्पताल में बेहतरीन चिकित्सा एवं सुरक्षा मुहैया कराई जा रही हैं।

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