ज्ञान प्रकाश , जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिये रविवार को दुनिया भर से आए वार्ताकारों ने दो हफ्तों तक चलने वाली बातचीत शुरू की। यह वार्ता पेरिस में तीन साल पहले ऐतिहासिक करार पर मुहर लगने के बाद हो रही है जिसमें वैिक तापमान में इजाफे को दो डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से नीचे रखने का लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमति बनी थी। संयुक्त राष्ट्र की बैठक के लिये करीब 200 देशों के प्रतिनिधि पोलैंड के दक्षिणी शहर कातोवित्स में एकत्र हुए हैं। यह मूल रूप से तय कार्यक्रम से एक दिन पहले हो रहा है और इसके 14 दिसंबर तक चलने की उम्मीद है। मंत्रियों और कुछ राष्ट्र प्रमुखों के सोमवार को यहां आने की उम्मीद है जब मेजबान पोलैंड यह सुनिश्चित करने के लिये एक संयुक्त घोषणापत्र का दबाव डालेगा कि कोयला उत्पादक जैसे जीवाश्म ईंधन उद्योग उचित ढंग से अपनी राह बदल सकें जो हरित गैसों के उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के तहत बंदी का सामना कर रहे है। इस बैठक को हाल में संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन से अहम समर्थन मिला जब 19 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने 2015 के पेरिस जलवायु समझौते का समर्थन किया। अमेरिका खुद को इससे दूर रखने वाला एक मात्र देश था जिसने घोषणा की कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व मं वह इस जलवायु करार से अलग हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्यालय की एक पूर्व प्रमुख क्रिस्टीना फिगुरेस ने कहा, ‘‘भूराजनीतिक अस्थिरता के बावजूद, जलवायु सहमति बेहद लचीला रुख दे रही है।’’
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