कैट्स : दुर्घटनाग्रस्तों की मदद के लिए बढ़ रही है हेल्पकॉल्स, घट रही है मदद 45 करोड़ बकाया, रकम न मिलने की सूरत में ठप हो सकती है लाइफ लाइन सेवाएं

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली करीब पौने दो करोड़ की आबादी वाले दिल्ली वासियों के जीवन के लिए लाइफ लाइन माने जाने वाले केंद्रीयकृत सुश्रुत एवं सद्मा सेवाएं (कैट्स) सेवाएं समुचित रखरखाव न होने से आईसीयू में चली गई है। दिल्ली में आप की सरकार बनने के बाद कैट्स को बीवीजी नामक कंपनी को अनुबंध पर चलाने के लिए ठेका दिया। कंपनी का तर्क है कि तय समझौते के तहत सभी गाड़ियों में तेल भरवाने का महीने का खर्च करीब 65 लाख रु पए का आता है। लेकिन सरकार फरवरी 2017 से ही तय करार का केवल 70 प्रतिशत ही भुगतान क र रही है। इसके अलावा एंबुलेंस के तय सीमा से ज्यादा चलने पर मिलने वाली रकम भी नहीं दी जा रही है। इसकी वजह से कंपनी का सरकार पर करीब 45 करोड़ का बकाया हो गया है।
बढ़ रही काल घट रही मदद:
वर्ष 1991 में विशेष अधिनियम के तहत इस सुविधा की शुरूआत हुई, जिसके तहत दुर्घटनाग्रस्तों को निर्धारित 102/1099 हेल्पलाइन नंबरों पर सूचना मिलने के बाद 5 से 8 मिनट के मध्य कैट्स एम्बुलेंस मौके पर पहुंचना और घायल को प्राथमिक उपचार के बाद नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराना था। वर्ष 2009-10 में जहां सालभर में 70 हजार 768 काल प्राप्त हुई इसमें से 72 फीसद काल करने वालों को मदद दी गई। वर्ष 2015-2016 में काल बढ़कर एक लाख 2, 345 तक हो गई, जबकि वर्ष 2016-2017 में सवा लाख तक काल्स आई इनमें से सिर्फ क्रमश: 28 और 26 फीसद हेल्प दुर्घटनाग्रस्तों को मिल पाई। यही नहीं हेल्पलाइन काल दर्ज करने के बाद तय 8 मिनट से बढ़कर 25 से 35 मिनट विलंब से घटनास्थल पर एम्बुलेंस पहुंची।
मुख्य वजह:
कैट्स प्रशासन में कार्यरत अधिकारियों का कहना है कि आबादी बढ़ने के साथ ही एम्बुलेंस की संख्या नहीं बढ़ाई गई। उसके रखरखाव पर मिलने वाला खर्च कटौती करने के साथ ही इसे निजी हाथों में सौंप दिया गया। कैट्स के रिकार्ड में 2017 में 265 एम्बुलेंस ती, इसमें से 124 सपोर्ट एम्बुलेंस जबकि 110 बेसिक लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस। वास्तविक रूप से इस समय सड़क पर सिर्फ 151 एम्बुलेंस ही चलने लायक है। अन्य 141 या तो गैराज में खड़ी है, तो कुछ कंडम हो चुकी है। 151 एम्बुलेंस में से 21 एएलएस, 10 बीएलएस, 120 मारुति इको कार एम्बुलेंस के रूप में हैं। अधिकारी ने कहा कि इनमें से सिर्फ 60 फीसद एम्बुलेंस ही काल अटेंड करने लायक है। नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन (एनएफपीए) के अनुसार एम्बुलेंस का रखरखाव जरूरी है तभी वे काल मिलने के 8 मिनट के अंतराल में दुर्घटनाग्रस्तों को चिकित्सीय सुविधा दे सकेंगी। इस बारे में कैट्स प्रशासन ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से भी मुलाकात कर स्थिति सुधारने का अनुरोध कर चुके हैं। लेकिन हालत में कोई फिलहाल सुधार नहीं हो सका है। कैट्स के प्रशासनिक अधिकारी डा. एलएस राणा ने दावा किया कि स्थिति में जल्द सुधार हो जाएगा।

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