उबाल सीएए का: पुलिसवाले चाहते हैं कि जल्दी कायम हो शहर में अमन शांति -है आम नागरिकों की भी यही इच्छा

कहा यह सब क्या हो रहा है, कौन है इरादतन शांति भंग करने वाले -ऐसी तो नहीं हो सकती भारत के वशिंदे

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर राजधानी दिल्ली में जारी प्रदर्शनों के दौर के बीच दिन में 20-20 घंटे काम करने का दावा करने वाले दिल्ली पुलिस के कर्मी चाहते हैं कि उनके शहर में जल्दी ही अमन बहाल हो और वे चैन से अपने घर जा सकें। इन प्रदर्शनों के बीच ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों की हालत ऐसी है कि उन्हें समय से दिनचर्या में शामिल रूटीन क्रम (शौच-स्नादि) तक जाने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। सीलमपुर, जामिया, जामा मस्जिद तो प्रदर्शन के लिए हाट स्पॉट में शुमार हो चुके हैं लेकिन इन क्षेत्र के थानों और पुलिस चौकियों में तैनात पुलिसकर्मियो के अलावा दिल्ली के हर क्षेत्र के आला अधिकारियों की भी है समस्या है।
इनकी जुबानी:
संसद मार्ग थाने के एक सिपाही के अनुसार सीएए विरोधी प्रदर्शनों के कारण हम लगातार काम कर रहे हैं। पूरे थाने का स्टाफ सारा काम छोड़कर सिर्फ प्रदर्शन ड्यूटी में लगा हुआ है। मैं छह दिन से प्रदर्शन स्थल पर हूं। सुबह सात बजे घर से खाकर निकलता हूं। अन्य पुलिसकर्मियों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। कनॉट प्लेस थाने के एक अन्य सिपाही ने बताया कि उन्हें प्रात: 8 बजे प्रदर्शन शुरू होने से पहले ड्यूटी पर पहुंचने को कहा गया है। हम पूरे दिन वहीं रहते हैं, कोई अल्पावकाश नहीं, आधे घंटे का भी नहीं। प्रशासन हमारे लिए डिब्बाबंद भोजन ला रहा है, लेकिन कई बार जब खाना नहीं आ पाता है तो हमें अपना इंतजाम खुद करना पड़ता है। पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। संसद मार्ग थाने के एक हेड कांस्टेबल ने बताया कि उनके अवकाश रद्द कर दिए गए हैं। कड़ाके की ठंड से उपर से पड़ रही है।
छह दिन से 20 घंटे से ज्यादा ड्यटी:
नाम का खुलासा न करने की शर्त पर बताया कि साहब हम तो पिछले छह दिन से वे दिन में 20 घंटे से ज्यादा काम कर रहे हैं। हमें जगह से नहीं हिलने का स्पष्ट आदेश है। वरिष्ठ हमें घर का काम या किसी जरूरी काम के लिए घंटे भर का भी अवकाश नहीं दे रहे हैं। कल मैं 19 घंटे की ड्यूटी के बाद किसी आपात स्थिति में घर पहुंचा ही था कि वापस बुला लिया गया। उनका कहना है कि वे भी हालात सामान्य होने का इंतजार कर रही हैं। हम लंबे कामकाजी घंटों को लेकर शिकायत नहीं कर रहे हैं, लेकिन हालात हमारे लिए भी मुश्किल हैं। एक पुलिस कर्मी ने बताया कि उसे तीन दिसंबर को जंतर मंतर भेजा गया, वहां दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख धरने पर बैठी थीं। मैं देर रात तीन बजे वहां से घर के लिए निकली और फिर प्रात: 8 बजे ड्यूटी चली आयी। हम बिना किसी रिलिवर के शौचालय भी नहीं जा सकते हैं।

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