सावधान: गलत जांच के शिकार हो रहे दिल्ली के 40 फीसद लोग! -उच्च रक्तचाप की जांच से जुड़ी तकनीकों पर आईसीएमआर-इंडिया हार्ट स्टडी के अध्ययन ने उठाए सवाल -निजी, सरकरी पैथलैब्स की विसनीयता संदहात्मक – कई अस्पतालों के विशेषज्ञों ने मिलकर किया है अध्ययन

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , अगर डाक्टर ने आपको कह दिया कि अपने उच्च रक्तचाप की जांच कराओं और सरकारी या निजी अस्पताल की पैथलैब ने यह पुष्टि कर दी है कि आपका रक्तचाप का स्तर बढ़ गया है, इस नैदानिक रिपोर्ट के हवाले से पीजिशियन आपको ताउम्र उच्च रक्तचाप नियंत्रित करने संबंधी दवाएं प्रेस्क्राइब्ड कर दे तो एलर्ट हो जाइए। दवाएं प्रारंभ करने से पहले एक दो और सरकारी पैथलैब्स में रक्त की चांच जरूर करा लें। इसके बाद ही दवाएं लेना प्रारंभ करे। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो कई अन्य प्रकार के गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ सकते हैं। यह खुलासा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने किया है।
क्या कहतें हैं आंकडे:
राजधानी के करीब 40 फीसद लोग उच्च रक्तचाप (हायपरटेंशन) की गलत जांच के शिकार हो रहे हैं। इन रोगियों को रक्तचाप के बारे में काफी भ्रामक जानकारी मिलती है। डॉक्टर के पास किसी व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य नजर आता है। लेकन घर पर उसे उच्च रक्तचाप मिलता है। इतना ही नहीं अभी भी देश में करीब 69 फीसद डॉक्टर मरक्यूरी युक्त थर्मामीटर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इंडिया हार्ट स्टडी (आईएचएस) के अध्ययन में ये दावा किया गया है। देश भर के मेट्रो शहरों पर किए इस अध्ययन में दिल्ली के 1228 मरीज शामिल किए जिनमें 804 पुरूष और 424 महिलाएं थीं। अध्ययन के अनुसार पहली बार डॉक्टर के क्लीनिक में कदम रखने वाले 42 फीसदी मरीज मास्क्ड और व्हाइट कोट हायपरटेंशन के शिकार पाए गए। मास्क्ड हायपर टेंशन का मतलब डॉक्टर के पास रक्तचाप (बीपी) कुछ और घर पर कुछ और। वहीं व्हाइट को हायपरटेंशन को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जिसमें केवल एक नैदानिक सेटिंग में सामान्य सीमा से ऊपर रक्तचाप के स्तर को प्रदर्शित किया जाता है।
यह भी:
अध्ययन में ये भी सामने आया है कि भारतीयों के दिल की धड़कन की दर 80 बीट प्रति मिनट है जो कि 72 बीट प्रति मिनट की वांछित दर से अधिक है। खास बात यह है कि अध्ययन के दौरान ये भी पता चला है कि ज्यादात्तर भारतीयों का उच्च रक्तचाप सुबह की तुलना में शाम को ज्यादा पाया गया। मतलब कि डॉक्टरों को उच्च रक्तचाप से ग्रस्त लोगों के लिए दवा की खुराक के समय में पुनर्विचार करना चाहिए।
एक्सपर्ट्स की नजर में:
अध्ययन के प्रमुख एवं बत्रा हास्पिटल एंड रिसर्च हार्ट सेंटर के प्रमुख डा. उपेंद्र कौल ने बताया कि ये अध्ययन बत्रा अस्पताल के तत्वावधान में किया गया। ये अध्ययन भारत में उच्च रक्तचाप के बेहतर नैदानिक प्रबंधन की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ डा. जेपीएस साहनी ने बताया कि लोग अगर अपनी जीवनशैली में थोड़ा बहुत बदलाव कर लें तो रक्तचाप के प्रति सतर्क रहकर कई तरह के जोखिमों से बच सकते हैं। उन्होंने प्रतिदिन व्यायाम खाने में अतिरिक्त नमक से दूरी धूम्रपान,शराब के सेवन का त्याग इत्यादि के जरिए स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा बीमारियों से बचा जा सकता है। एम्स के कार्डियलॉजिस्ट डा. राकेश यादव ने बातया कि अनियंत्रित रक्तचाप गुर्दे की विफलता के लिए भी सबसे जरूरी जोखिम कारक है। उच्च रक्तचाप की निगरानी और इसे नियंतण्रमें रखने से किडनी यानि गुर्दे का बचाव आसानी से किया जा सकता है।

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