आंगनबाड़ी बच्चों की थाली में होंगे आयुष के उत्पाद अश्वगंधा, च्यवनप्राश, चूर्ण और अवलेह भी होंगे आंगनवाड़ी में

एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम पोषण-2.0 के दिशानिर्देश जारी 0-6 वर्ष के बच्चे, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताएं और 14-18 वर्ष की किशोरियां होंगी लाभान्वित

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ज्ञान प्रकाश
नई दिल्ली, 8 अगस्त 2022: देश भर में आंगनबाड़ी बच्चों को पुष्टाहार में अब आयुर्वेद के अनुसार पोषण देने की पहल की गई है। अब 0 से 06 साल के बच्चों, स्तनपान कराने वाली माताओं, गर्भवती स्त्रियों और 14 से 18 वर्ष तक की किशोरियों को आंगनबाड़ी में दिए जाने वाले पुष्टाहार में देशी खान–पान को बढ़ावा दिए जाने के साथ आयुर्वेदिक खाद्य सामग्री को शामिल किया गया है। इसके लिए महिला व बाल विकास मंत्रालय ने पोषण–2.0 अभियान की शुरुवात की है। जिसके दिशा निर्देश राज्यों को जारी किया गया है।
देश की जनसंख्या में महिलाओं और बच्चों की संख्या दो तिहाई से अधिक है। इनके स्वास्थ्य सुरक्षा और पोषण को लेकर एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम में पोषण–2.0 की शुरुवात हुई है। जिसमें पोषक आहार वितरण में आयुष के उत्पादों को शामिल करने का निर्णय किया गया है। जिसका लक्ष्य 0 से 6 आयुवर्ग के बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरियों में कुपोषण की चुनौतियों का सामना करने के साथ ही उनके प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से निर्धारित मध्यम तीव्र कुपोषण (मॉडरेट एक्यूट मालनारिश्ड) और गंभीर तीव्र कुपोषण (सीवर एक्यूट मॉलनारिश्ड) की चुनौती से निपटना है।
बच्चों के समग्र विकास के लिए स्वास्थ्य देखभाल, पोषण, सुरक्षा, देखभाल के साथ ही प्रारंभिक शिक्षा के अवसर आवश्यक हैं। प्रारंभिक बाल्यावस्था और शिक्षा (ईसीसीई) सहित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए पोषण-2.0 योजना को वंचित और निम्न-आय समूहों के लिए विशेष रुप से तैयार किया गया है। एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम पोषण-2.0 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के धारा 4(ए), 5(1), के प्रावधान के तहत तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। इसके लिए जरूरी दिशानिर्देश राज्यों को दिए गए हैं।
योजना की खास बातें
—रक्त की कमी दूर करने वाले आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ देना।
—रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले उत्पाद देना।
— पाचन क्रिया मजबूत करने वाले पदार्थ शामिल।
—भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार देशी खान पान।

पोषण वाटिका में लहलहाएंगी औषधियां
देश भर में स्कूलों, ग्राम पंचायत और आंगनबाड़ी केंद्र में खाली स्थानों पर पोषण वाटिका का निर्माण किया जाएगा। जिसमे भौगोलिक स्थिति के अनुसार स्थानीय साग सब्जियां उगाई जाएंगी, तो वहीं इन स्थानों पर जड़ी बूटी की खेती आदि को भी बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अलावा गाय के दूध, घी और स्थानीय रूप से उत्पादित तेल को बढावा दिया जायेगा। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाएगा।
आयुष उत्पाद से दूर होगी खून की कमी
पोषण —2.0 योजना को अभियान के तौर पर लिया गया है जिसमें गर्भवती माताओं में आमतौर पर होने वाली खून की कमी जिसके लिए फोलिक एसिड की गोलियां दी जाती रही है, उसकी जगह आयुष उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा।आयुर्वेदिक योगों जैसे त्रिकटुचूर्ण, दादीमाष्टकचूर्ण, हिंगवाष्टकचुर्ण की मदद से पाचन क्रिया में सुधार किया जाएगा। इसके साथ ही स्थानीय, मौसमी उपलब्धता और सांस्कृतिक स्वीकृति पर आयुष खाद्य पदार्थों को एकीकृत किया जाएगा। जिसमें अब अश्वगंधा और च्यवनप्राशवलेह आदि उत्पादों को वितरित किया जाएगा.

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