ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, आयुष विभाग की देखरेख में भारतीय चिकित्सा पद्धति के तहत आयव्रेद की विनियता के प्रति यूरोपियाई देशों में दिलचस्पी बढ़ रही है। दुर्लभ जड़ी बूटियों से तैयार कई प्रकार के असाध्य रोगों के असरदार तरीकों की वैज्ञानिक पुष्टि के लिए अब जीवा के वैज्ञानिक फ्रांस स्थित स्टॉस वोइंग यूनिवर्सिटी के साथ शोध करेंगे। जीवा के प्रमुख एवं प्रख्यात आयुव्रेदाचार्य डा. प्रताप चौहान ने कहा कि जीवनशैली और संचारी रोग की वजह मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना। आयुव्रेद वाक्, कफ, पित में असंतुलन होने के कारणों को दूर करता है। इसके तहत दिल, दिमाग, हेमेरेजिक फीवर, कैंसर, रक्तचाप, मानसिक अवसाद, गुर्दा, जिगर संबंधी विकृतियों की सक्रियता को रोकने में आयुव्रेद में असरदार औषधियां उपलब्ध है।
इनकी अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्ता की जांच, वैज्ञानिक पुष्टि होने पर यह तय है कि भारत आयुव्रेद पद्धति में दुनिया के पटल पर अपनी छाप छोड़ेगा। उत्तर पश्चिमी दिल्ली स्थित आयुव्रेद केंद्र की शुरुआत करने के बाद डा. चौहान ने कहा कि आयुष मंत्रालय इस मामले में तेजी से काम कर रहा है। इसके लिए स्टैंर्डड ट्रीटमेंट गाइडलाइन (एसटीजी) जारी कर दी है। रक्त संबंधी विकृतयों को दूर करने में आयुव्रेद प्योरीफाई टेकनिक पर काम करता है। सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुव्रेद साईसेज (सीसीआरएएस) में पहली बार आयुव्रेद विशेषज्ञ राजेश कोटेचा की नियुक्ति की गई है। अब तक इस पद पर किसी ब्यूरोक्रेट्स को नियुक्ति किया जाता रहा है, जिसे आयुव्रेद के बारे में कोई जानकारी नहीं होती थी, इसलिए वे लोग इस ओर रुचि भी नहीं लेते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय की स्वतंत्र रूप से स्थापना किया। केंद्रीय आयुष मंत्री श्रीपद नाईक खुद भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए हर स्तर पर सहयोग कर रहे हैं। यह सकारात्मक पहल है। आयुष विभाग मेडिकल प्लांट रिसर्च के तौर तरीकों पर भी सव्रे कर रहा है।