ज्ञान प्रकाश , उत्तरी दिल्ली नगर निगम रोहिणी स्थित पंचकर्मा हास्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आरपी पाराशर के अनुसार आयुर्वेदिक चिकित्सा से स्वाइन फ्लू का इलाज तो संभव है ही साथ ही इससे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी सहायता मिलती है। यह सर्वमान्य तथ्य है कि जिस व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता पर्याप्त हो वह वायरस या बैक्टीरिया के आक्रमण के बावजूद आसानी से बीमार नहीं होता और बीमार होने पर उसका इलाज जल्दी व सरलता से हो जाता है। स्वाइन फ्लू के लक्षणों को आयुर्वेद की प्राचीन संहिताओं में वर्णित वात श्लेष्मिक ज्वर के लक्षणों के समान मानते हुए उसी के अनुरूप चिकित्सा करते हैं। आयुर्वेद मतानुसार यह रोग वात और कफ के प्रकोप के कारण होता है।
यह है उपचार:
स्वाइन फ्लू से बचाव और उपचार के लिए हल्दी और नमक को पानी में उबालकर गुनगुने पानी से गरारे करने चाहिए।
स्वाइन फ्लू के दौरान गर्म पानी से हाथ-पैर धोएं और अधिक से अधिक सफाई रखें। स्वाइन फ्लू में नीलगिरी और इलायची तेल की एक-दो बूंदें रूमाल पर डालकर नाक से सूंघना चाहिए। नीलगिरी तेल के स्थान पर कपूर का प्रयोग भी किया जा सकता है। स्वाइन फ्लू से बचाव और उपचार के लिए अदरक, तुलसी, हल्दी, गिलोय को पीस कर शहद के साथ चाटना चाहिए।
ऐसा करें:
आयुर्वेदिक औषधियों में सितोपलादि चूर्ण, तालीसादि चूर्ण, हिंगुलेर रस, कस्तूरी भैरव रस, त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, संजीवनी वटी, सिद्ध प्राणोर रस का सेवन करना चाहिए।