अपोलो हॉस्पिटल्स ने शुरू किया ‘प्रोजेक्ट कवच’ कोविड-19 के खिलाफ लड़ने के लिए प्रभावी कदम

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ज्ञान प्रकाश , भारत की सबसे बड़ी एकात्मिक स्वास्थ्यसेवा श्रृंखला अपोलो हॉस्पिटल्स ने कोविड-19 की आपत्ति से लड़ने के लिए एक व्यापक और एकात्मिक जवाबी योजना शुरू की जाने की घोषणा की है। अपोलो हॉस्पिटल्स के सर्वोच्च प्रबंधन ने देश भर के पत्रकारों के लिए चेन्नई और हैदराबाद से आयोजित की गयी एक विशेष वर्चुअल मीडिया कांफ्रेंस में यह घोषणा की गयी। इस जवाबी योजना का नाम ‘प्रोजेक्ट कवच’ है, कवच अर्थात रक्षक, यह व्यापक दृष्टिकोण है जिसमें जानकारी, स्क्रीनिंग और आंकलन, टेस्टिंग से लेकर क्वारंटाइन और इलाज के लिए बुनियादी सेवाएं और सुविधाएं तैयार करने तक सब कुछ इसमें शामिल है। एक महीने तक पूरी तैयारियां करने के बाद बनायीं गयी ‘प्रोजेक्ट कवच’ योजना में अपोलो हॉस्पिटल्स के सभी स्त्रोतों को इस देश की जनता के लिए कोविड-19के खिलाफ लड़ाई में एकसाथ जुटाया जाएगा।

*अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के चेयरमैन डॉ. प्रताप सी. रेड्डी* ने बताया, “हम यह लड़ाई न केवल इस पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों की भलाई के लिए लड़ रहे हैं। नावेल करोनावायरस संक्रमण किसी भी देश की सीमा को नहीं मानता, धर्म, जाती, वंश, वर्ण या सामाजिक स्थान कोई भी हो, इस संक्रमण के शिकार होने की संभावना सभी के लिए एक समान है। इस संक्रमण की ‘कड़ी को तोड़ने’ के लिए बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हम सभी को प्रयास करने होंगे। अपोलो हॉस्पिटल्स का पूरा परिवार इस संकट की घडी में अपने कर्तव्यों से भी आगे जाकर इस लड़ाई में जीत हासिल करने के लिए सरकार के साथ कदम से कदम मिलाने के लिए तैयार है। हमारा प्रोजेक्ट कवच कोविड-19 को रोकने के लिए लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को गति और बल प्रदान करेगा। इस गंभीर चुनौती में सरकार का सहयोग करते हुए सदैव आगे रहने के हमारे संकल्प का यह एक हिस्सा है।”

*अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप की एग्जीक्यूटिव वाईस चेयरपर्सन सुश्री शोभना कामेनेनी* ने कहा, “अपोलो हॉस्पिटल्स ने स्क्रीनिंग और शुरूआती आंकलन के लिए एआई पर आधारित करोनावायरस रिस्क असेसमेंट स्कैन खास तौर पर डिज़ाइन किया है। यह एक ऐप के रूप में और वेबसाइट (https://covid.apollo247.com/) पर उपलब्ध है। छह क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध रिस्क असेसमेंट से आसान संवादात्मक प्रश्नों के जरिए लोगों को इस विषाणु से जुड़े संभावित खतरे के बारे में मार्गदर्शन किया जाएगा। खतरे का स्तर कितना है उसके अनुसार लोगों को सर्टिफाइड हेल्प सेंटर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।” उन्होंने आगे यह भी बताया, “अपोलो 24 * 7 ऐप और वेबसाइट पर6 मिलियन से ज्यादा लोगों ने स्क्रीनिंग पहले ही किया हुआ है और आशा है कि जोखिम कितनी है यह जानने के लिए 10 मिलियन से ज्यादा भारतीय इस स्कैन का उपयोग करेंगे। डिजिटल अपोलो 24 I 7 ऐप अपोलो हॉस्पिटल्स के सभी डॉक्टरों के साथ टेली-कनेक्ट की सुविधा के जरिए वर्चुअल और टेलीफोनी कंसल्टेशन की सेवा भी देता है जिससे मरीज घर बैठे ही स्वास्थ्यसेवाओं का लाभ ले पाते हैं।

लोगों को उनकी जरूरतों के अनुसार सभी दवाइयां, अन्य उत्पाद और सप्लीमेंट्स मिलते रहे इसलिए देश भर के 18 राज्यों में फैले 3800अपोलो फार्मेसीज् पूरी तरह से सक्रीय रखी जाएंगी। स्टॉक्स दुगुने कर दिए गए हैं और कीमतों पर कड़ा ध्यान और नियंत्रण रखा जा रहा है,साथ ही होम डिलीवरी क्षमता को बढ़ाया गया है। अनुमान है कि हमारी इन क्षमताओं को हर दिन 500000 लोगों को सेवाएं देने से बढ़ाकर हर दिन 1 मिलियन लोगों को सेवाएं देने तक बढ़ाया जा सकता है।”

*अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुश्री संगीता रेड्डी* ने बताया, “कड़ी को तोड़ने की प्रक्रिया में टेस्टिंग बहुत ही जरुरी हिस्सा है। अधिकांश अपोलो सेंटर्स को कोविड-19 टेस्टिंग के लिए तैयार किया गया है और मार्च महीने के अंत तक सभी बुनियादी सुविधाएं भी तैयार हो जाएंगी और टेस्टिंग शुरू हो जाएगा। घर से सैम्पल्स जमा करने और ड्राइव थ्रू टेस्टिंग का प्रावधान होगा। मरीजों के अलावा अन्य लोगों के लिए हॉस्पिटल में आकर टेस्टिंग को रोका जाएगा। लोगों के स्क्रीनिंग के लिए खास फीवर क्लिनिक्स बनाए जा रहे हैं। जो लोग टेस्ट्स के लिए निकषों के पात्र हैं वे ड्राइव थ्रू के जरिए अंदर आएंगे, सरकार के निर्देशों के अनुसार शुल्क भरेंगे और फिर उनका टेस्ट किया जाएगा।”

उन्होंने आगे बताया, “जब हम व्यापक स्क्रीनिंग शुरू करेंगे तब अगर पॉजिटिव केसेस आते हैं तो उन्हें पूरी तरह से दूसरों से अलग रखने की आवश्यकता होगी। कई भारतीय घरों में जहां एक ही जगह पर 6-7 लोग रहते हैं और एक ही शौचालय का इस्तेमाल करते हैं वहां यह संभव नहीं हो पाएगा। जल्द ही हम “प्रोजेक्ट स्टे आई” लॉन्च करने वाले हैं, यह एक नयी स्ट्रैटेजी है जिसमें क्वारंटाइन के लिए कुछ मात्रा में मेडिकल देखरेख के साथ होटल / हॉस्टल में मेडिकल रूम्स बनाए जाएंगे और लोगों के अस्पतालों में आने से पहले एक बैरियर बनाया जाएगा। 50% से अधिक मामलों में केवल अलगाव और पेरासिटामोल की आवश्यकता होती है, ऐसी स्थिति में यह स्ट्रैटेजी काम आएगी। ये मेडिकल रूम्स चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, बैंगलोर और दिल्ली इन शहरों में शुरू किए जाएंगे। हर शहर में लगभग 50 से शुरू होकर, हर तीन दिन में 50 कमरों से ऊपर जाकर, पूरे देश भर में 5000 कमरों का अंतिम लक्ष्य है। जरुरत के अनुसार इनको कम-ज्यादा किया जाएगा।”

बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाते हुए इस बात का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि इस वायरस से संक्रमित एक मरीज 4 से ५ लोगों को संक्रमित कर सकता है। इस चरण पर हमें सही इलाज के बारे में मरीजों के मन में जो चिंता लगी रहती है उसका भी समाधान करने में सक्षम होना चाहिए। “प्रोजेक्ट स्टे-आई” से हम एक महीने में 10000-15000 से अधिक रोगियों की मदद करने और 50 लाख से अधिक संक्रमणों को रोकने की उम्मीद करते हैं।

सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए हम शनिवार को और ज्यादा जानकारी दे पाएंगे, जब हम “प्रोजेक्ट स्टे-आई” का पहला चरण शुरू करेंगे।

*अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप की वाईस चेयरपर्सन सुश्री प्रीता रेड्डी* ने बताया, “साथ ही हम इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि हमारे वर्तमान मरीजों को दी जा रही सेवाओं को जारी रखना भी जरुरी है।

द वन अपोलो सिस्टम में करीबन 20 मिलियन मरीजों के रिकार्ड्स स्टोर किए हुए हैं। यह सिस्टम उन मरीजों को पहचानने में सक्षम है जिनका सबसे ज्यादा ध्यान देना जरुरी है, जैसे कि जिनके ट्रांसप्लांट हुए है, जिन्हें नियमित तौर पर डायलिसिस की जरुरत होती है या फिर जो कैंसर, डायबिटीज या हाइपरटेंशन है। जो मरीज पहले से अपोलो केयर का लाभ ले रहे हैं उन्हें लगातार सेवाएं देते रहना बहुत महत्वपूर्ण है, इसके लिए हमारी सभी अस्पताल सुविधाओं को कोविड संक्रमण से सुरक्षित रखा गया है, साथ ही टेलीमेडिसिन, डॉक्टरों के साथ कनेक्ट्स, घर से सैंपल कलेक्शन और मेडिकल होम डिलीवरी यह सुविधाएं भी दी जा रही हैं। उनके लिए 18605001066 यह हेल्पलाइन पुरे दिन भर चलायी जा रही है। वे www.askapollo.com पर भी कनेक्ट कर सकते हैं।

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