एम्स में मरीजों के साथ-साथ तिमारदार भी हो रहे हैं कुव्यवस्था का शिकार, समर्थन में आए डॉक्टर्स युवा डाक्टर ने कहा अब नहीं देखी जाती मरीज, रिश्तेदारों की विवशता

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों को भले ही सुविधा देने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हों, लेकिन इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के तीमारदारों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. दरअसल, एम्स में आने वाले मरीजों के तीमारदार बारिश और धूप में खुले आसमान में बैठने को मजबूर हैं। मरीजों के तीमारदारों को होती हैं परेशानी ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि मरीजों और उनके तीमारदारों को अस्पताल प्रशासन क्या सुविधा दे रहा है। इस बाबत अब एम्स के डॉक्टर भी सामने आते हुए दिख रहे हैं, जिस पर उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हषर्वर्धन, एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया को पत्र लिखकर प्रशासन से मरीजों को सुविधा देने की मांग की है। बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री एम्स गवर्निग बॉडी का अध्यक्ष भी होता है।
टीन शेड ना होने का है मुद्दा:
इमरजेंसी के बाहर टीन शेड तक नहीं है। इस वजह से मरीजों को खुले आसमान में बैठना पड़ता है। तेज धूप और ऐसे में कई बार बारिश होने पर मरीजों को दूसरे स्थान तलाशना एक चुनौती है। यह उनके लिए परेशानी का सबब बनता है। इसे बनवाने के लिए इसके पहले भी कई बार मांग की जा चुकी है कि इमरजेंसी के बाहर टिन शेड डलवाया जाए। लेकिन प्रशासन की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया गया। तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा क कार्यकाल में योजना तो बन चुकी है लेकिन अम्ल करने संबंधी फाइल अधर में लटकी है।
-सबसे अहम बात ये है कि इमरजेंसी के बाहर काफी संख्या में मरीज के तीमारदार रहते हैं। ऐसे में उनको शेड ना मिलने की वजह से जहां दिक्कत होती है तो वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने यहां पर टीन शेड बनवाने के लिए प्रयास तो किया लेकिन फायर डिपार्टमेंट की तरफ से एनओसी न मिलने की वजह से ये योजना अधर में लटकी हुई है। जिसकी वजह से तीमारदारों को दिक्कतें हो रही हैं।
अब डाक्टर आए फ्रंट पर, कहा मरीजों उनके रिश्तेदारों का दु:ख नहीं देखा जाता:
एम्स के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विजय कुमार गुर्जर ने इस बाबत अपने ट्विटर हैंडल पर मिनिस्ट्री को भेजे पत्र का जिक्र किया है। जिसमें लिखा है कि एम्स में टीन शेड न होने की वजह से मरीजों को दिक्कत होती है। दमघोंटू गर्मी, तेज बारिश में वे छज्जों के किनारें इधर उधर सिर छिपाने के लिए विवश हैं। उनका कहना है कि इस बाबत एक ओर शेड डालने से बैठने की व्यवस्था होगी तो वहीं दूसरी ओर खुले आसमान के नीचे परेशान होते मरीजों को समस्या से निदान मिल सकेगा। फिलहाल देखना होगा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों को सुविधा के नाम पर टीन शेड ना मिलने का ये मुद्दा कब तक पूरा हो पाता है और मरीजों को ये सुविधा कब मिलेगी।
समस्या होगी दूर:
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है। जल्द ही टीन शैड लगाने का काम प्रारंभ किया जाएगा। इस दौरान मरीजों के लिए वेटिंग लाउंज बनाया गया है जो वातानुकूलित है। इमरजेंसी विंग में स्पेस की कमी है, इस वजह से अब तक इस योजना को अम्ल में नहीं लाया गया।

भरोसेमंद एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए विख्यात एम्स में मरीजों की संख्या तो काफी तादाद में रहती है। पर इनकी सुविधाओं को लेकर हमेशा प्रश्न चिन्ह लगा रहता है। मरीजों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर एम्स प्रशासन की तरफ से विस्तार की फिलहाल कोई योजना नहीं है, जिससे मरीज तो निराश है ही इसके साथ ही अब एम्स में डाक्टरी जगत में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाल युवा डाक्टर्स की चिंता बढ़ने लगी है। वे अब इसी क्रम में खुलकर बोल रहे है।

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