ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, ऑनलाइन फॉर्मेसी के विरोध में शुक्रवार को दवा विक्रेताओं ने भारत बंद का ऐलान किया है। विक्रेताओं की इस चौबीस घंटे की हड़ताल को ऑनलाइन फॉर्मेसी ने भी अपने कारोबार का जरिया बना लिया। पिछले कुछ दिनों से लोगों को फोन और मैसेज के जरिए ये बताया जा रहा है कि 28 सिंतबर को देश भर में दवा दुकानें बंद रहेंगी। इसलिए मरीज अपनी दवाएं घर बैठे मंगा सकते हैं। इसके लिए बकायदा मैसेज के साथ फोन नंबर भी दिए हैं। इसे लेकर दवा विक्रेताओं और उनके संगठन भी खासा आक्रोशित हैं।
बृहस्पतिवार को प्रेसक्लब आफ इंडिया में दवा विक्रेताओं के संगठन एआईओसीडी के अध्यक्ष जेएस शिंदे ने यह घोषणा की। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन फॉर्मेसी पूरी तरह से व्यापार का जरिया है। जबकि देश में स्वास्थ्य व्यापार का केंद्र नहीं है। बावजूद इसके ऑनलाइन फाम्रेसी चलाने वाले खुलेआम कारोबार कर रहे हैं। इससे दवाइयों के दुरु पयोग का खतरा बढ़ जाता है। फिलहाल ऑनलाइन फार्मेसी का कारोबार अवैध है और सरकारी प्रशासन इसके खिलाफ अब कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। लिहाजा आम जनता के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए हमारे पास हड़ताल पर जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया है।
यह भी:
देश में इस समय तकरीबन आठ लाख दवा विक्रेता हैं। दिल्ली में यह संख्या करीब 80 हजार है। दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के चलते शहरी क्षेत्रों में बड़ी ही तेजी से ये बाजार आगे बढ़ा है। इसका खामियाजा दवा दुकानदारों को सीधे तौर पर उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अब इनकी मांग है कि सरकार को इस तरह के कारोबार को कतई बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
सरकार ने नहीं की सुनवाई प्रतिबंध के बाद भी हो रही है बिक्री:
संगठन की ओर से की गई शिकायतों के बावजूद इंटरनेट ऑनलाइन फार्मेसी द्वारा आई। पिल, एमटीपी किट, एंटी-डिप्रेशन आदि दवाइयों की सप्लाई जारी है और इसके लिए डॉक्टरी पर्चे व मरीज की विसनीयता की भी पुष्टि नहीं की जा रही है। सरकार को शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
जंतर मंतर पर देश भर के दवा व्यापारी होंगे एकजुट:
शुक्रवार आल इंडिया आग्रेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) की अपील पर शुक्रवार को 12 हजार से अधिक दवा दुकानदार जंतर मंतर पर एकत्रित होंगे और ऑनलाइन फाम्रेसी के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
सरकार से मांग:
-मौजूदा ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के प्रावधानों तथा 1945 के नियमों के मुताबिक की अवैध दवाइयों की बिक्री गैरकानूनी है।
– दवाओं के प्रतिकूल असर का खतरा बढ़ेगा।
– घटियाए सस्ते ब्रांड वाली और नकली दवाओं की खुलेआम बिक्री होने लगेगी।
– दवाइयों के अनियंत्रित इस्तेमाल का खतरा बढ़ जाएगा।
– इंटरनेट के जरिये आसानी से उपलब्ध हो जाने के कारण युवाओं में नशे की लत बढ.ने का बड़ा खतरा रहेगा।
– आठ लाख केमिस्टों तथा तकरीबन 80 लाख कर्मचारियों एवं परिवारों के लिए आर्थिक संकट बढ़ेगा।
– ग्रामीण भारत में दवाइयों का दुष्प्रभाव बढ़ेगा।
– सुशासन के लिए अधोसंरचना तथा श्रमशक्तिका अभाव हो जाएगा।