भारत चौहान
मथुरा, अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर ब्रज के मंदिरों में ठाकुर को चंदन की अलंकरित पोशाक धारण कराने की मंदिर सेवायतों में होड़ सी लग जाती है। इस बार अक्षय तृतीया का पर्व सात मई को मनाया जाएगा।
मंदन मोहन मंदिर जतीपुरा (गोवर्धन) के महन्त ब्रजेश मुखिया ने बताया कि ब्रज के मंदिरों में ठाकुर की सेवा यशोदा भाव या वात्सल्य भाव अथवा दास भाव या भक्त भाव या साख्य भाव से की जाती है। गर्मी बढ़ने के साथ मां यशोदा को लाला को गर्मी से बचाने की चिंता हो जाती है इसीलिए वे उसके शरीर में चन्दन लेप कर गर्मी के प्रभाव को कम करने का प्रयास करती हैं।
सप्त देवालयों में राधारमण मंदिर में इस दिन से राजभेग आरती पहले बत्ती से फिर फूलों से होती है। इसके बाद शरद उत्सव तक फूलों की ही आरती होती है। मंदिर के सेवायत आचार्य दिनेशचन्द्र गोस्वामी ने बताया कि इस दिन चूंकि बहुत अधिक चंदन की आवश्यकता होती है इसलिए एक पखवारा पहले ही चन्दन का घिसना शुरू हो जाता है।
बालस्वरूप में सेवा होने के कारण ठाकुर को गर्मी से बचाने के लिए अक्षय तृतीया के दिन चन्दन में कपूर, केसर मिलाकर और फिर ठाकुर का चंदन के पैजामा, अंगरखी, पगड़ी, पटका बनाकर अछ्वुत रूप श्रंगार किया जाता है। लाला को नजर लगने से बचाने के लिए इस दिन झांकी दर्शन होते हैं। इस दिन मंदिर में सतुआ के लड्डू और फलों का भोग लगता है। अक्षय तृतीया का पर्व नजदीक आने के कारण इस पोशाक के लिए ही मंदिरों में चन्दन की लुगदी बनाई जा रही है जहां अन्य मंदिरों में यह लुगदी मंदिर के किसी भाग में चन्दन घिस कर एका की जाती है