पीएम ने राहुल गांधी के क्षेत्र अमेठी में कहा ,- अब नामदारों से नहीं होगी यहां की पहचान अमेठी में रूस के सहयोग से लगने वाले एके-203 राइफल के कारखाने की रखी नीव

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ज्ञान प्रकाश अमेठी -कांग्रेस के गढ़ अमेठी को रक्षा व विकास से जुड़ी सौगात देने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला तथा कहा कि नामदारों से नहीं, बल्कि एके-203 रायफल से होगी अमेठी की पहचान। रायफल का निर्माण कर सेना को सौंप दिया जाएगा। दुश्मनों को मार गिराने के बाद अमेठी की याद जरूर आएगी। अमेठी में बनी रायफल पर हर सैनिक को गर्व होगा। श्री मोदी ने सेना से जुड़े इस प्रोजेक्ट के पिछड़ने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष व अमेठी के सांसद राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया। इस मौके पर पीएम ने अमेठी के विकास से जुड़ी 538 करोड़ की 17 परियोजनाओं का बटन दबाकर शुभारम्भ किया। इनमें 9 का लोकार्पण व आठ का शिलान्यास शामिल है।प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने सैनिकों की जरूरतों को हमेशा नजरंदाज किया है। भारतीय सेना ने 2005 में ही केन्द्र सरकार से बुलेटप्रूफ जैकेट देने की मांग की थी, लेकिन 2013 तक उसको लटकटाये रखा गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यही कोशिश राफेल सौदे को लटकाये रखने की है। इसकी एक बड़ी वजह कमीशन है, जो अब उनकी जेब में नहीं जाने वाला है। इसी वजह से कांग्रेसी परेशान है। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने सैनिकों के लिए न सिर्फ बुलटेप्रूफ जैकेट खरीदी, बल्कि अत्याधुनिक होवित्जर तोप और अब राफेल विमान खरीद कर दे रहे हैं। देश पहले रक्षा जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर रहता था, लेकिन अमेठी में बनने वाली यह रायफल देश की जरूरतों को पूरा करेगा। साथ ही पूरी दुनिया में इसका निर्यात भी होगा। दुनिया भर में अब अमेठी रक्षा उत्पादों से जाना जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेठी में बने रायफल से आतंकियों व नक्सलियों का खात्मा करने में कामयाबी मिलेगी। पीएम ने कांग्रेस अध्यक्ष को कठघरे खड़ा करते हुए कहा कि अमेठी में इस अत्याधुनिक रायफल फैक्टरी में उत्पादन 8-9 वर्ष पहले शुरू हो जाना चाहिए और युवाओं को नौकरी मिलती, लेकिन न तो नामदार ने काम शुरू होने दिया और न ही युवाओं को रोजगार मिल सका। उल्टे नामदार रोजगार पर पूरे देश में भाषण देते घूम रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र में उनके साथ मंत्री स्मृति ईरानी भले ही 2014 में अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गयीं, लेकिन उन्होंने अमेठी वासियों का दिल जीत लिया है। जितने काम नामदार ने 15 वर्षो में नहीं कराये, स्मृति के प्रयास से पांच वर्ष से भी कम समय में विकास हुए हैं।

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