ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , किसी व्यक्ति के शरीर में यदि दो मिनट या कुछ कम समय के लिए हरकत हो, या फिर हाथ-पैर कांपने लगे तो संभावना है कि उसे मिर्गी का दौरा पड़ा हो। ऐसे व्यक्तियों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इस संबंध में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान विभाग में प्रोफेसर न्यूरोलॉजी और मिर्गी में विशेष डा. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि देश में 12 मिलियन से अधिक लोगों को यह बीमारी है और इनमें से 30 फीसदी (करीब 4 मिलियन) ऐसे हैं जिनपर दवाईयां असर नहीं करती। इन 30 फीसदी में से करीब एक मिलियन ऐसे मरीज हैं जिन्हें दौरे एक जगह से नहीं पड़ते ऐसे मरीजों के लिए को वैजस नर्व स्टिमुलेशन (वीएनएस) का सुझाव दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि मरीज को एक जगह से दौरे पड़ते हैं तो उसे सर्जरी के माध्यम से निकाल दिया जाता है। इसके अलावा अन्य विकल्प भी होते हैं। उन्होंने कहा कि मिर्गी एक तंत्रिका संबंधी विकार है। इसमें अधिकतर मरीज एंटी एपिलेप्टिक ड्रग्स (एईडी) का उपयोग करके काफी हद तक ठीक हो जाते हैं। अन्तरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस की पूर्व संध्या डा. मंजरी समेत दिल्ली के अन्य विशेषज्ञों बातचीत की गई।
वीएनएस का परिणाम बेहतर:
वीएनएस तकनीक का बेहतर परिणाम आ रहा है।कुछ समय पहले एक व्यक्तिकम उम्र में मिर्गी का रोगी बन कर यहां आया था। उस व्यक्ति पर दवाईयों का असर भी नहीं हो रहा था। उसकी जांच के बाद वैजस नर्व स्टिमुलेशन (वीएनएस) का सुझाव दिया। उनके सुझाव के बाद दिसंबर 2017 में एम्स के प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी डा. डॉ. शरत चंद्र ने वीएनएस डिवाइस को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया। इस डिवाइस से उस मरीज को काफी फायदा हुआ। अब मरीज को महीने में एक बार दौरे आ रहे हैं।
घबराए नहीं, कराएं जांच:
जीबी पंत अस्पताल में स्नायु तंत्रिका विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. देवाशीष चौधरी का कहना है कि यदि दवाई का उपयोग करने के बाद भी मिर्गी के दौरे कम नहीं होते और समस्या बढ़ती है तो घबराने की जरूरत नहीं। बल्कि आगे भी जांच जारी रखनी चाहिए। जांच नियमित रखने पर संभावना ठीक होने की काफी बढ़ जाती है। डाक्टरों के संपर्क करके जांच जारी रखनी चाहिए। मिर्गी मस्तिष्क से संबंधित एक रोग है जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। इनकी अवधि अधिक नहीं होती। जब मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं विद्युतीय आवेशों को तेज गति से छोड़ती हैं तो इसके कारण विद्युतीय तुफान यानी दौरे पड़ना शुरू होता है।
80 फीसदी मरीज दवाओं से हो रहे ठीक:
जन्म के समय चोट लगने सड़क दुर्घटना या किसी तरह के संक्रमण के कारण भी दौरे पड़ने की परेशानी हो सकती है। चूंकि चिकित्सीय क्षेत्र में नई तकनीकें आने से अब इसका उपचार आसान हो गया है। अस्पतालों में पहुंच रहे करीब 80 फीसदी मरीज दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं। बहुत कम मरीजों को सर्जरी या अन्य उपचार की जरूरत पड़ती है।
यह भी:
अग्रसेन हास्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डा. अशुतोष गुप्ता के अनुसार मिर्गी से पीड़ित मरीजों का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। गलत जानकारियों के कारण सैंकड़ों मरीज कष्ट भोग रहे हैं। जागरु कता की कमी इन मरीजों की उपचार से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा रही है। जयपुर गोल्डन हास्पिटल की डा. श्रुति जैन ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि रोगियों की परेशानियों को रेखांकित कर उन्हें उपचार दिया जा सके। बीमारी के प्रति लोगों में जागरु कता लाना बेहद जरूरी है।