ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वैज्ञानिक अब उम्रदराज होने वाली बीमारियों के असर को कम करने में शोध करेंगे। इसके लिए जीओट्रिक डिपार्टमेंट और कम्यूनिटी मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने 65 से अधिक उम्र के 4567 बुजुगरे का चयन किया है। यह अध्ययन उनके खानपान, दिक्कतों और रुचियों के साथ ही घर के वातावरण पर किया जाएगा।
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह अध्ययन दो साल तक किया जाएगा। इसके पहले 18 सप्ताह तक फेस टू फेस ओपीडी में आने वाले वरिष्ठ नागरिकों की पहचान उनकी बीमारी का एक पेशेंट केस हिस्ट्री डाटा तैयार किया जाएगा। मसलन इसके पहले वे कौन सी दवाएं लेते हैं, उनकी दिनचर्या कैसी है, किस अस्पताल में किन योग्यता वाले डाक्टरों से इलाज कर रहे हैं आदि का आनलाइन ब्यौरा भी तैयार किया जाएगा।
क्या कहते हैं आंकड़े:
आंकड़ों के अनुसार भारत में जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है। 1947 में जो लगभग 32 वर्ष हुआ करती थी, वो आज बढ़कर 68 वर्ष हो गयी है। इससे नई स्वास्थ्य चुनौतियों को भी जन्म मिला है, जिनमें से एक है डिमेंशिया। अल्जाइमर इस कंडीशन की सबसे आम वजह है, जिससे वि स्तर पर लगभग 4.68 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं। भारत में करीब 40 लाख लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, और 2050 तक इसके तीन गुना होने की उम्मीद है।
अनुमानित खर्च:
अल्जाइमर रोग वाले व्यक्ति के लिए देखभाल की वाषिर्क घरेलू लागत शहरी क्षेत्रों में 45 हचार 600 से 2 लाख 2 हजार 450 के बीच और ग्रामीण इलाकों में रुपये 20 हजार 300 से 66 हजार के बीच है। इस बीमारी की गंभीरता बढ़ने के साथ ही लागत भी बढ़ती जाती है। एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डा. केके अग्रवाल ने कहा, ‘अधिक से अधिक लोग काम के लिए शहरों में जा रहे हैं, जिससे पारंपरिक परिवार संरचनाएं बाधित हो रही हैं। ऐसी स्थिति में, परिवार के बुजुर्ग ही हैं जो पीछे छोड़ दिये जाते हैं, और ऐसी स्थिति उनकी देखभाल कठिन हो रही है। वृद्ध व्यक्तियों को अक्सर युवाओं से कम सक्षम और कम काबिल माना जाता है। जागरूकता पैदा करने की जरूरत है कि बुजुगरे के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण उन्हें स्वस्थ तरीके से जीने में मदद कर सकता है। वृद्धावस्था को जीवन के एक और चरण के रूप में देखने की आवश्यकता है। ऐसा करने और बुजुगोर्ं से सम्मान के साथ व्यवहार करने से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।’
यह भी:
मैक्स के डा. रजनीश मल्होत्रा ने कहा कि मौजूदा आबादी के ट्रेंड को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि 2050 तक दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति की उम्र 65 साल से अधिक होगी, और करीब 50 करोड़ आबादी 80 साल से अधिक उम्र वालों की होगी। युवा आबादी को बुजुगरे की देखभाल करनी होगी, जबकि हैल्थकेयर की लागत तेजी से बढ़ती जायेगी।