एम्स: एपीसीए में असमानता, स्वास्थ्यकर्मियों में नाराजगी बढ़ी -दिया एम्स निदेशक को अल्टीमेटम, मांगी न मानी तो जाएंगे नड्डा के दरबार में

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में बढ़ते संक्रमण के स्तर से चिंतित ए, बी, सी एवं डी श्रेणी के करीब 10 हजार चिकित्सा कर्मचारी संशय की स्थिति में है। शनिवार को हुई एम्स एससी/एसटी इम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन की आम सभा में सर्वसम्मति से यह तीन सूत्रीय मांगे मनवाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की रणनीति तय की गई। एम्स एससी/एसटी इम्पलाइज वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव कुलदीप कुमार धिंगान, अध्यक्ष बाबूलाल, कार्यकारी सदस्य एवं पूर्व उपाध्यक्ष वेदप्रकाश स्वहस्ताक्षर युक्त एक मसौदा भी तैयार किया। जिसमें समान काम समान भत्ता देने, हास्पिटल पॉलिटिकल केयर अलाउंस (एचपीसीए) विसंगतियों को दूर करने, संक्रमण नियंतण्रकमेटी में ग्रूप सी एंड डी वर्ग के एक कर्मचारी को शामिल करना शामिल है।
एम्स निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया को दिए ज्ञापन में श्री धिंगान ने कहा कि है कि एम्स देश का सर्वोच्च गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं देने वाला संस्थान है। यहां पर मरीजों को दबाव पहले से क्षमता से कई गुना ज्यादा है, यही वजह है कि यहां संक्रमण की संभावनाएं ज्यादा रहती है। दु:खद यह है कि ए एंड बी श्रेणी के कर्मचारियों को एचपीसीए नहीं दिया जा रहा है। यह अभिलंब लागू किया जाए। तृतीय व चतर्थ श्रेणी कर्मियों को सिर्फ 4100 रुपये ही एपीसीए भत्ता देती है, जबकि नर्सिग स्टाफ को यह राशि 7800 रुपये है। डाक्टरों को इससे तीन गुना ज्यादा दिया जाता है। ए, बी, सी, डी श्रेणी के स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों के आसपास ही सेवाएं देते हैं, तो फिर हमारे साथ क्यों सौतेला ब्यवहार किया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर यदि 15 दिन में एम्स प्रशासन सकारात्मक पहल नहीं करता है तो कर्मचारी एम्स के अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के दरबार में अपना पक्ष रखेगा। वेद प्रकाश ने प्रश्न किया कि जब नसरे और ए एंड बी श्रेणी के कर्मचारियों के वेतन में समानता है तो फिर एपीसीए भत्ता देने से हमें क्यों वंचित रखा जा रहा है। यह सरासर ज्यादती है। एम्स प्रशासन को कर्मचारियों की सेहत के साथ अनदेखी करना अनुचित है।

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