हिंदूराव अस्पताल में जान बचाने वाले इंजेक्शन में मिलावट -काले रंग की संदेहास्पद चीज दिखने पर नर्स ने वरिष्ठ साथियों को सूचित किया

अस्पताल ने सभी जगह इस्तेमाल हो रहे एट्रोपिन इंजेक्शन को वापस मंगाया

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , उत्तरी निगम के सबसे बड़े अस्पताल हिंदूराव की इमरजेंसी में जान बचाने के लिए इस्तेमाल होने वाले एट्रोपिन इंजेक्शन में मिलावट का मामला सामने आया है। फिलहाल पता नहीं चल सका है कि इंजेक्शन में दिख रही चीज फंगस है या फिर कुछ और। गनीमत थी कि मरीज को लगाए जाने से पहले ही इसका पता चल गया। इस खुलासे के बाद स्वास्थ्य महकमें तक बात पहुंची और हड़कंप मच गया।
क्या है मामला:
बृहस्पतिवार को ऑपरेशन थियेटर में नर्स को इंजेक्शन में काले रंग की कुछ मिलावट दिखी। उन्होंने तुरंत वरिष्ठ साथियों और प्रशासन को सूचना दी। अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक ने एट्रोपिन की सभी विभागों, वाडरे और इमरजेंसी में पहुंचाई गई खेप वापस मंगा ली है।
2020 तक थी एक्सपाइरी डेट:
अस्पताल के सीडीएमओ डा. सुमित सिंह ने सभी विभाध्यक्षों और इमरजेंसी के प्रमुख और चिकित्सा अधिकारियों को सकरुलर जारी किया है। इसमें अस्पताल में बैच संख्या एईआई 1810 वाले सभी एट्रोपिन इंजेक्शन को तत्काल इस्तेमाल से रोकने और इस बैच के सभी इंजेक्शन को वापस स्टोर रूम में जमा कराने का निर्णय लिया है। सकरुलर में लिखा है कि अगस्त 2018 में बनाए गए ये इंजेक्शन साल 2020 में जुलाई तक की एक्सपाईरी डेट वाले हैं। यानी अगर मिलावट सामने नहीं दिखती तो मरीजों के लिए यह इंजेक्शन जानलेवा हो सकता था।
आयुक्त के निर्देश पर जांच शुरू:
उत्तरी निगम की कमिश्नर वष्रा जोशी ने कहा कि फिलहाल पूरे मामले की जांच कराई जा रही है। प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि किसी ने जानबूझकर अस्पताल को बदनाम करने के लिए शरारत की है। फिर भी एहतियातन उस बैच के सभी इंजेक्शन को स्टोर रूम में ले लिया गया है। इंजेक्शन में फंगस होने के सवाल पर कहा कि जांच के लिए सैंपल भेजा गया है। जांच के बाद ही पता चलेगा कि यह क्या था।
धड़कन बढ़ाने के काम में आता है:
एम्स के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डा. नवल विक्रम के मुताबिक, एट्रोपिन इंजेक्शन सिर्फ इमरजेंसी में इस्तेमाल किया जाता है। मरीज के दिल की धड़कन कम हो जाती है, तो उसे तेज करने के लिए और कई मामलों में जहर के खिलाफ एंटीडॉट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। विक्रम के मुताबिक, मिलावट वाले इंजेक्शन में क्या था यह तो पता नहीं, लेकिन फंगस या कुछ और मिलावट की स्थिति में मरीज के शरीर में संक्रमण से लेकर रिएक्शन या बुखार, घबराहट हो सकती है।
अरुणा आसिफ अली में मिला था ग्लूकोज में फंगस:
दिल्ली सरकार के अरु णा आसफ अली अस्पताल में इसी साल जनवरी में ग्लूकोज की बोतल में फंगस का मामला सामने आया था। प्रभावित बैच की सभी एक हजार बोतलों को वापस मंगाया गया था। केंद्रीय खरीद प्राधिकरण (सीपीए) से मार्च 2018 में डेट्रोक्स नॉर्मल सेलाइन (डीएनएस) की एक हजार बोतलों की खेप अस्पताल को सप्लाई की गई थी। इनमें से एक बोतल में फंगस का मामला सामने आया था।

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