साल 2020 में दस दिन में 90 बेघरों की मौत! -वर्ष 2019 में 413 ने तोड़ा दम,

बेघर लोगों की मौत का आंकड़े ने 10 साल का रिकार्ड तोड़ा,दिल्ली सरकार चुनाव में मस्त

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , देश की राजधानी दिल्ली शहर में ठंड से एक दिसम्बर से लेकर 10 जनवरी तक 413 बेघर लोगों की मौत। एक जनवरी से लेकर 10 जनवरी यानी सिर्फ 10 दिनों में 90 लोगों की मौत हुई। जबकि दिसम्बर में (1 से 31 तारीख) के दौरान 323 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह से एक जनवरी से 31 दिसम्बर 2019 के दौरान कुल 3623 लोगों की मौत हुई। बेघर लोगों की मौत का आंकड़े ने 10 साल का रिकार्ड तोड़ा। वर्ष 2010 के दौरान साल भर में कुल 3498 बेघरों की मौत हुई थी।
दिल्ली सरकार की स्वायत्त संस्था दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डुसिब) की देखरेख में फिलहाल कुल 234 रैन बसेरा स्थापित किए गए हैं। यह खुलासा केंद्रीय गृह मंत्रालय की निगरानी में जोनल इंटीग्रेटिड पुलिस नेटवर्क द्वारा 11 जनवरी 2020 को जारी किए गए हैं। सेंटर फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) आंकड़े संकलन में स्थानीय पुलिस (क्राइम ब्रांच) की मदद करता है। प्राप्त आंकडों पर यदि फौरी नजर डाली जाए तो वर्ष 2018 में 31 दिसम्बर तक कुल 3289 बघरों की मौत हुई थी। वहीं वर्ष 2017 में इस दौरान 2979, वर्ष 2016 में 3398 वर्ष 2015 में 3222 वर्ष 2014 में 3313, वर्ष 2013 में 2895 वष्ॉ 2012 में 3325 वर्ष 2011 में 3291 वर्ष 2010 में 3498 वर्ष 2009 में 3114 बेघरों की मौत हुई।
साल के अन्तिम माह में:
इस दौरान यदि 1 दिसम्बर से 31 दिसम्बर के दौरान बेघरों की हुई मौत के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सबसे ज्यादा मौत इसी दौरान होती है। वर्ष 2019 में दिसम्बर माह में कुल 323 बेघरों की मौत हुई। जबकि वर्ष 2018 में 235, वर्ष 2017 में 250, वर्ष 2016 में 235, वर्ष 2015 में 251, वर्ष 2014 में 279, वर्ष 2013 में 216 वषर्, 2012 में 248, वर्ष 2011 में 251, वर्ष 2010 में 277 जबकि वर्ष 2009 में 277 बेघरों की मौत हुई।
क्या कहते हैं प्रशासनिक अधिकारी:
डुसिब के प्रमुख आनंद प्रकाश का कहना है कि इनमें अधिकांश ऐसे होते हैं जो लंबी बीमारियों की गिरफ्त में रहते हैं। संभवत: ठंड के साथ ही उनकी मौत की वजह कारणों में एक मानी जाती है। इनका पोस्टमार्टम व फोरेंसिक कार्रवाई पुलिस की निगरानी में की जाती है। 80 फीसद मृतकों की पहचान नहीं हो पाती है। उधर, सेंटर फॉर हॉलिस्टिक डेवलपमेंट (सीएचडी) के प्रमुख निदेशक सुनील कुमार आलेडिया कहते हैं इस रफ्तार को रोका जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि इन वेघरों के लिए अस्पतालों में इलाज संबंधी बेहतर प्रबंध होना चाहिए। जब उनकी तबियत बिगड़ती है तब उन्हें इमरजेंसी में ही घंटों इंतजार कराया जाता है। बहरहाल, प्रशासन के लिए बघरों की हो रही आकस्मिक मृत्यु से भी रुबरू कराया गया है। सीएचडी ने इस बारें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत श्रम विभाग के सभी अधिकारियों को पत्र व संचार के अन्य माध्यमों के जरिए समय समय पर अवगता करते रहे हैं।

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