ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , इस बार बाल दिवस यानी 14 नवम्बर बृहस्पतिवार को है। इस मौके पर इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) समेत अन्य दंत रोग विशेषज्ञों ने दिशा निर्देश जारी किया है। जिसमें अभिभावकों को सलाह दी है कि वे इस दिन अ पने बच्चों दांतों की स्क्रीनिंग जरूर कराएं। यह उनके जीवन के लिए बेहतरीन तोहफा हो सकता है। दरअसल, चार महानगरों में किए गए 12 हजार से अधिक 15 वर्ष तक आयु के बच्चों की गई स्क्रीनिंग में पाया गया है कि 80 फीसद बच्चों की मसूढ़ों संबंधी दिक्कतें हैं। उनके जबडे, दांतों की ग्रोथ सामान्य नहीं है। इसके तहत ही इस बार दंत विशेषज्ञों ने यह एडवाइजरी पैरेंट्स को जारी किया है। अपने बच्चों के दांतों की जांच कराएं। ताकि उनके जीवन को विभिन्न तरह के संक्रमण और रोग से मुक्त किया जा सके। आगामी 14 नवंबर को बाल दिवस होने के चलते राजधानी के दंतरोग विशेषज्ञों ने दिल्ली वालों से अपील करते हुए कहा है कि भले ही दूध के दांत मुंह में अस्थाई रूप से होते हैं और ये 12 साल की उम्र तक झड़ जाते हैं, लेकिन इन 12 सालों तक ये दूध के दांत अनेक कायरे में योगदान प्रदान करते हैं। ये जबड़े एवं चेहरे की हड्डियों के विकास में सहायक हैं।
मौलाना आजाद दंत विज्ञान संस्थान में बाल दंत रोग विभाग के एसोसिएट प्रो. डा. ज्ञानेंद्र कुमार के अनुसार स्वस्थ्य दांत और सुंदर मुस्कान आपके शिशु के आत्मविास में वृद्धि लाते हैं। इसलिए दांतों की जांच हर छह माह के अंतराल में करना जरूरी है। गोल्ड मेडलिस्ट वरिष्ठ डा. सुगंधा मारवाह का कहना है कि कुछ ध्वनियों का उच्चरण केवल दांतो की मदद से ही किया जा सकता हैं, जैसे की त,थ,द,ध। मौखिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य का प्रतिबिंब है। शिशु दंत चिकित्सक के तौर पर हमसे कई बार पूछा जाता है कि क्या दूध के दांतो का इलाज करना आवश्यक है। हमारा जवाब है जी बिल्कुल। राष्ट्रीय ओरल हेल्थ सव्रे के अनुसार 5 वर्ष तक की आयु के 50 फीसदी और 5 से 12 वर्ष की आयु के 52.5 फीसदी बच्चों में दांतों से जुड़ी परेशानी देखने को मिल रही है। जबकि 12 से 15 वर्ष की आयु की बात की जाए तो ये परेशानी 61.4 फीसदी में मिल रही है। विशेषज्ञों ने इसे एक बड़ा गंभीर मुद्दा भी माना है।
दूध के नजदीक ही पक्के दांत आते हैं:
डा. सुगंधा मारवाह ने बताया कि दूध के दांतों के उपचार को महत्व देने के पीछे कई वजह हैं। पक्के दांत दूध के दांतों के समीप ही विकसित होते हैं। इस कारण दूध के दांतों में लगा गहरा कीड़ा उनके पक्के दांतों के आसपास की हड्डी को संक्रमित कर सकता है। इससे बच्चे को कई तरह के रोग भी हो सकते हैं। साथ ही आपके बच्चे के पक्के दांतो में रचनात्मक बदलाव आ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों के प्रति उनके माता पिता सजग रहें और उनकी जांच कराएं।
सामान्य से चार गुना ज्यादा छुट्टी लेते हैं बच्चे : एम्स
आईडीए के सदस्य एवं दंत सर्जन डा. सीके अनिल के अनुसार दांतों में दर्द की वजह से बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। हाल ही में हुए एम्स के अध्ययन के अनुसार जिन बच्चों को दांतों में तकलीफ या संक्रमण होता है वे सामान्य से चार गुना ज्यादा स्कूलों से छुट्टड्ढी लेते हैं। इसीलिए देश में पहली बार एम्स ने बीते माह केंद्रीय स्कूलों के शिक्षकों को दांतों के प्रति जागरुकता लाने की दिशा में प्रशिक्षण भी दिया था।