ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि फिलहाल राजधानी में स्वाइन फ्लू नियंतण्रमें। जारी आंकड़े के अनुसार सोमवार सायं 5 बजे से मंगलवार सायं 5 बजे तक यानी 24 घंटे में स्वाइन फ्लू के 72 नए मामले दर्ज किए गए। एक जनवरी से 29 जनवरी तक स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़कर 512 हो गई है। ये आंकड़े स्वाइन फ्लू से पीड़ित दिल्ली के निवासियों के हैं। इसमें दिल्ली के अस्पतालों में बाहर के राज्यों से आए मरीजों की जानकारी इसमें शामिल नहीं हैं।
दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डा. नूतन मुंदेजा ने यह जानकारी दी है। डा. मुंदेजा ने दावा किया है कि अब तक इस वर्ष यानी जनवरी माह में सिर्फ चार लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हुई है। ये मामले 15 जनवरी के पहले दर्ज किए गए थे। आरएमएल, एम्स, सफदरजंग, गंगाराम अस्पताल प्रशासन को निर्देशित किया गया है कि उनके यहां राउंड द क्लाक आने वाले मरीजों की रिपोर्टिग निदेशालय को नियमित तौर पर दें। दरअसल, बीते कुछ समय से सोशल साइटिस पर ऐसे भ्रामक खबरें आ रही है कि स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस बीच केंद्र सरकार के अंतर्गत परिचालित सफदरजंग और डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 10 स्वाइन फ्लू संदिग्धां की मौत का मामला सामने आया है। इन अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों का तर्क है कि चूंकि यहां पर लाए गए मरीजों की लंबे समय से दूसरी बीमारियां थी, इस वजह से हम इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं कि उनकी मौत की वजह स्वाइन फ्लू इंफ्यलुएंजा रही या फिर और। इसके लिए इनका पोस्टमार्टम कराया गया है उनकी बिसरा रिपोर्ट फोरेंसिक लैबोरेटरी में जांच के लिए भेजा गया है। आरएमएल के डा. वीके तिवारी ने दावा किया है कि आईसोलेशन वार्ड में अब तक हुई मौत संदिग्ध है, उनके जब तक वैज्ञानिक नतीजे नहीं आ जाते तब तक हम यह नहीं कह सकते हैं कि उनकी मृत्यु की वजह क्या थी।
स्वाइन फ्लू क्या है:
– यह सांस से जुड़ी बीमारी है, जो इंफ्लुएंजा टाइप ए से होता है और इससे सूअर भी संक्रमित होते हैं।
– एच1एन1 वाइयस से दुनियाभर में 2009 में 18000 मौते हुई थी
-स्वाइन फ्लू के शुरु आती मामले 2009 में मैक्सिको में पाए गए थे। अब तक लगभग सौ देशों में इस संक्रमण ने लोगों को अपनी चपेट में लिया है।
-इसके लक्षण आम फ्लू से मिलते जुलते ही हैं, इसलिए इसकी पहचान खून की जांच से ही संभव है।
ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
– स्वाइन फ्लू एक प्रकार का संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से दो तरह से फैलता है।
-पहला, रोगी को छूने, हाथ-मिलाने या सीधे संपर्क में आने से।
-दूसरा, रोगी की सांस के जरिए जिसे ड्रॉपलेट इंफेक्शन भी कहा जाता है।
– स्वाइन फ्लू का वाइरस स्टील प्लास्टिक में 24 से 48 घंटों तक, कपड़ों में 8 से 12 घंटों तक, टिश्यू पेपर में 15 मिनट तक और हाथों में 30 मिनट तक सक्रिय रहता है।
-जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है।
-दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
स्वाइन फ्लू का इलाज:
– कुछ हद तक इसका इलाज संभव है। इसके मरीजों का उपचार टैमीफ्लू और रेलेन्जा नामक वायरसरोधी दवा से शुरु आती अवस्था में किया जा सकता है।
– डॉक्टरों के अनुसार ये दवा इस फ्लू को रोक तो नहीं सकती पर इसके खतरनाक असर को कम जरूर कर सकती है।