एम्स के दो डॅक्टरों से छीना लाइसेंस, एक माह तक लगी मरीज को देखने पाबंदी नर्स राजबीर कौर की मौत के मामले में साल भर बाद हुआ फैसला परिजनों ने जताई नाराजगी, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के निर्णय को बताया गलत

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के बहुचर्चित नर्स राजबीर कौर की मौत के मामले में करीब साल भर बाद दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने फैसला सुनाया है। दिल्ली सरकार की स्वायत्त संस्था डीएमसी की ओर से गठित कमेटी ने एम्स के दो डाक्टरों से लाइसेंस वापस लेकर उन्हें एक महीने तक प्रैक्टिस न करने का आदेश दिया है। काउंसिल के सचिव डा. गिरीश त्यागी ने इस आश्य की तस्दीक की और कहा कि शिकायत मिलने के बाद गठित कमेटी ने जांच के बाद दो डाक्टरों को एक महीने के लिए प्रैक्टिस पर पाबंदी लगा दी है इस दौरान उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे चिकित्सा परामर्श भी न दें। उन्हें यह दंड डीएमसी एक्ट के तहत जारी किया गया है।
दूसरी आरोपी डाक्टर बची:
हालांकि परिजनों ने एम्स की सीनियर रेजीडेंट डा. सीमा सिंघल पर आरोप लगाए थे। लेकिन सुनवाई के दौरान उनके खिलाफ कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है।
क्या था मामला:
पिछले वर्ष यानी वर्ष 2017 में 16 जनवरी को एम्स की नर्स राजबीर कौर को भर्ती किया था। लेकिन उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई। इलाज के दौरान शिशु की मौत हो गई और 4 फरवरी को राजबीर कौर की भी मौत हो गई। इस मामले में राजबीर कौर के परिजनों और र्नसंिग एसोसिएशन ने डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया था। कई दिनों तक एम्स में र्नसंिग और डाक्टरों के बीच काफी विवाद भी देखने को मिला था। इसी बीच एम्स प्रबंधन ने उच्चस्तरीय जांच में डाक्टरों की लापरवाही का मामला सुर्खियों में आया था। एनेस्थेसिया विभाग की एक डाक्टर को बर्खास्त करने का फैसला भी लिया था। इसके अलावा पीड़ित परिवार को 10 लाख रु पये का हर्जाना भी एम्स प्रबंधन दे चुका है। पिछले दिनों नर्स राजबीर कौर के नाम पर लैब का नाम भी रखा। इसी मामले में दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने अपना फैसला लंबी जद्दोजहद के बाद अब सुनाया है।
असंतुष्ट है परिजन: कोर्ट में चुनौती:
राजबीर कौर के पति मनीष कुमार ने राष्ट्रीय सहारा से कहा कि उनकी पत्नी और बच्चे की मौत के एवज में महज दो डाक्टरों को एक माह के लिए प्रैक्टिस न करने का फैसला नाइंसाफी है। जिन लोगों की वजह से उनकी पत्नी और बच्चे की मौत हुई उन्हें ठोस सजा मिलनी चाहिए। इसीलिए वे जल्द ही डीएमसी के फैसले को लेकर कोर्ट में आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने की याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि एम्स जैसे संस्थान में एक जूनियर डाक्टर के आपरेशन करने और रात भर सीनियर डाक्टरों को फोन करने के बाद भी अस्पताल नहीं पहुंचने जैसी यादें वे कभी नहीं भुला सकते। वे अपनी पत्नी और बच्चे को न्याय दिलाकर ही रहेंगे। मुझे ज्यूडिशियरी से काफी उम्मीदें हैं। मेरी पत्नी के साथ हुई घोर लापरवाही एम्स प्रशासन के लिए अक्षम्य और माफी योग्य नहीं है।

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